लिम्सी और जिक कोविट गोलियों की भी हुई कमी
कोरोना के बढ़ते कहर के साथ ही बाजार से कई जरूरी दवाओं की किल्लत होने लगी है। लिम्सी और जिक कोविट गोलियों की मांग काफी अधिक है और आपूर्ति बहुत ही कम रही है। आक्सीमीटर और भाप मशीन बाजार में ढूंढे नहीं मिल रही हैं। साथ कोरोना के उपचार में काम आने वाली आइवरमेक्टिन दवा भी खत्म है।
शामली, जागरण टीम। कोरोना के बढ़ते कहर के साथ ही बाजार से कई जरूरी दवाओं की किल्लत होने लगी है। लिम्सी और जिक कोविट गोलियों की मांग काफी अधिक है और आपूर्ति बहुत ही कम रही है। आक्सीमीटर और भाप मशीन बाजार में ढूंढे नहीं मिल रही हैं। साथ कोरोना के उपचार में काम आने वाली आइवरमेक्टिन दवा भी खत्म है।
कोरोना संक्रमितों के साथ ही स्वस्थ लोग भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए लिम्सी और जिक कोविट का सेवन करते हैं। विटामिन-सी के लिए लिम्सी और जिक के लिए जिक कोविट की गोली की काफी मांग है। उक्त दोनों दवा ही बाजार में बेहद कम बची हैं। दवा व्यापारियों की मानें तो मुजफ्फरनगर और सहारनपुर में भी नहीं मिल रही है। दवा व्यापारी संजय ने बताया कि उनके पास लिम्सी का पूरा स्टाक खत्म हो गया है। कब तक आपूर्ति होगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। एन-95 और त्रिस्तरीय सर्जिकल मास्क भी खत्म हैं। द्विस्तरीय मास्क ही आ रहा है। दवा व्यापारी दीपक ने बताया कि जिक कोविट का थोड़ा स्टाक बचा है और ऐसे में वह किसी भी व्यक्ति को एक पत्ते से अधिक नहीं दे रहे हैं।
वहीं, औषधि निरीक्षक संदीप कुमार का कहना है कि किसी भी दवा की कालाबाजारी या जमाखोरी न हो, इस पर पूरी नजर रखी जा रही है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
रोजा रखने से पहले रोजे का मकसद समझें : मोहम्मद माज
संवाद सूत्र, कैराना : हाफिज मोहम्मद माज मलिक ने बताया कि रो•ा हमें संकट से निपटने की शक्ति प्रदान करता है। रोजेदार व्यक्ति सख्त भूख-प्यास में भी खाने-पीने की सभी चीजें अपने पास होने के बावजूद खाने-पीने से रुका रहता है। व्यक्ति का यह अमल आदमी में कड़ा अनुशासन पैदा करता है। अनुशासन ही वह कुंजी है, जिससे व्यक्ति अपने परिवार व राष्ट्र में आई हुई आपदा एवं संकट से निपट सकता है।
हाफिज का कहना है कि रो•ा हमें झूठ, धोखा, नफ़रत और हिसा से बचा कर हमारे अंदर बर्दाश्त करने, दूसरों को माफ करने जैसे नैतिक गुण पैदा करता है। इस तरह रो•ा हमारे व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करता है। हालांकि माज मलिक का कहना था कि अक्सर लोग रोजे के माध्यम से अपने व्यक्तित्व का विकास नहीं करते। वे केवल भूखा, प्यासा रहने को ही रो•ा समझते हैं। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे रोजा रखने से पहले रोजे का मक़सद समझ लें। उन्होंने बताया कि कुरआन की सूरह बकरह आयत संख्या 183 में साफ-साफ मकसद बताया गया है।