बारिश की मार ने धीमी की चाक की रफ्तार

एक दौर था जब दीपावली को नजदीक देख कुंभकारों के चेहरे पर मुस्कान खिल उठती थी। हालांकि अब भारतीय बाजार में चाइनीज सामग्री और दीपक बनाने के लिए मिट्टी ना मिलने के कारण कुंभकारों के चेहरे पर मायूसी साफ दिखाई दे रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 11:04 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 11:04 PM (IST)
बारिश की मार ने धीमी की चाक की रफ्तार
बारिश की मार ने धीमी की चाक की रफ्तार

शामली, जागरण टीम। एक दौर था जब दीपावली को नजदीक देख कुंभकारों के चेहरे पर मुस्कान खिल उठती थी। हालांकि अब भारतीय बाजार में चाइनीज सामग्री और दीपक बनाने के लिए मिट्टी ना मिलने के कारण कुंभकारों के चेहरे पर मायूसी साफ दिखाई दे रही है। पहले एक कुंभकार के दो से तीन लाख दीपक बिक जाते थे, लेकिन इस बार एक लाख से भी कम दीपक बिकने का अनुमान लगाया जा रहा है। लगातार हो रही बारिश ने भी कुंभकारों की चिता बढ़ा दी है। वहीं बाजार में बिक रहे चाइनीज सामान के कारण लोग कम ही दीपक खरीदते हैं। हरियाणा के पानीपत और करनाल से भी दीपावली पर आर्डर मिलते थे, लेकिन इस बार अभी तक कोई आर्डर नहीं मिला है। कुंभकारों की मानें तो इस बार एक लाख दीपक बिकने की भी उम्मीद नहीं है।

बाजार में तेजी से बिक रहे चाइनीज सामान के कारण चाक की रफ्तार धीमी करनी पड़ी है। दीपावली के पर्व पर कुंभकार मिट्टी के बर्तनों की खूब बिक्री करते थे, लेकिन बदलते समय के साथ दीपोत्सव में दीपक की महत्ता लगातार घटती जा रही है। ऐसे में सस्ती चाइनीज लाइटों के सामने दीपक की लौ मंद पड़ गई है। अब तो दीपक का प्रयोग सिर्फ देवस्थलों तक ही सिमट कर रह गया है। इससे एक ओर जहां दीपावली का परंपरागत स्वरूप धूमिल होता जा रहा है, वहीं कुंभकारों की रोजी-रोटी पर भी आफत आ गई है। दरअसल, भारतीय बाजारों में चाइनीज लाइटों की घुसपैठ के पहले दीपावली आगमन के महीनों पूर्व ही कुम्हार मिट्टी के दीपक बनाने में जुट जाते थे, लेकिन अब मिट़्टी की बनी सामग्री की घटती मांग, मिट़्टी ना मिलना समेत विभिन्न कारणों के चलते कुम्हारों ने इसे बनाना या तो कम कर दिया है या फिर बिल्कुल ही बंद कर दिया है। अब मिट़्टी के दीपक की जगह रंग-बिरंगे बिजली के बल्ब, झालर, लीची बल्ब व मोमबत्तियों सहित अन्य चाइनीज लाइटों ने ले ली है। इससे कुम्हारों का व्यवसाय चौपट होकर रह गया है। दीपक के रेट

100 दीपक- 35 रुपये

एक करवा-20 रुपये

कच्चा दीपक-3 रुपये इन्होंने कहा

अब मिट़्टी की बड़ी समस्या हो गई है। दीपक के लिए काली मिट़्टी का प्रयोग होता है, लेकिन आसपास मिट़्टी ना मिलने से दीपक कम तैयार करने पड़ रहे हैं। बारिश ने भी इस बार काम खराब कर दिया है। वहीं लोग भी मिट़्टी के दीपक अब कम खरीदते हैं।

-गोपाल प्रजापति, कस्बा बनत

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