जीवनशैली का बिगड़ना ही बना रहा मधुमेह का रोगी

मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी अब युवाओं में भी बढ़ रही है। क्योंकि जीवनशैली असंतुलित है। मधुमेह से कई अन्य बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर दिनचर्या को बेहतर रखेंगे तो इस बीमारी से बचना आसान है। साथ ही रोगी भी सावधानी और दवा से मधुमेह को नियंत्रित रख सकते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 10:10 PM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 10:10 PM (IST)
जीवनशैली का बिगड़ना ही बना रहा मधुमेह का रोगी
जीवनशैली का बिगड़ना ही बना रहा मधुमेह का रोगी

शामली, जेएनएन। मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी अब युवाओं में भी बढ़ रही है। क्योंकि जीवनशैली असंतुलित है। मधुमेह से कई अन्य बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर दिनचर्या को बेहतर रखेंगे तो इस बीमारी से बचना आसान है। साथ ही रोगी भी सावधानी और दवा से मधुमेह को नियंत्रित रख सकते हैं।

चिकित्सक डा. पंकज गर्ग का कहना है कि पहले तो 50 वर्ष से अधिक आयु वाले ही इस बीमारी की चपेट में आते थे। लेकिन अब जीवनशैली ठीक नहीं है। न तो खाना खाने का समय है, भागदौड़ भरी जिदगी में तनाव अधिक है, तला-भुना अधिक खाते हैं, शारीरिक श्रम कम या बिल्कुल नहीं है और सोने का समय भी तय नहीं है। ऐसे में पाचन तंत्र भी खराब रहता है और शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है। इंसुलिन भी कम बनता है या नहीं बनता है। यही मधुमेह है।

मधुमेह के रोगियों के हृदय, रक्तचाप, नसों की कमजोरी और फंगल संक्रमण होने की आशंका अधिक होती है। इसलिए हमें पौष्टिक आहार लेना चाहिए, नियमित रूप से व्यायाम, योग करना चाहिए और समय से सोना व उठना चाहिए। अगर जीवनशैली में सुधार करेंगे तो काफी हद तक बचाव संभव है। काफी लोगों को अनुवांशिक कारणों से भी यह बीमारी होती है। अगर परिवार में पहले से किसी को बीमारी रही है तो उन्हें 40 वर्ष आयु के बाद वर्ष में दो से तीन बार जांच करा लेनी चाहिए। मधुमेह रोग विशेषज्ञ डा. विजेंद्र ने बताया कि मधुमेह की बीमारी मुख्यत: दो प्रकार की होती है। टाइप-वन मधुमेह से युवा अधिक ग्रस्त होते है। इसमें इंसुलिन नहीं बनता और खून में ग्लूकोज के लेवल को सामान्य बनाए रखने को इंसुलिन इंजेक्शन लेने पड़ते हैं।

टाइप-टू आमतौर पर 40 से 50 वर्ष आयु के बाद लोगों को होती है। इसमें इंसुलिन तो बनता है, लेकिन शरीर की जरूरत के अनुरूप नहीं। अधिकांश लोग टाइप-टू से ग्रस्त होते हैं। गैस्ट्रेशनल डायबिटीज भी इस रोग का एक प्रकार है, जो गर्भवतियों को अधिक होती है।

----मधुमेह के रोगी बरतें सावधानी

-सुबह-शाम व्यायाम करें, योग करें और टहलें

-खानपान के परहेज का पालन करें।

-गेहूं के साथ चना, जौं, बाजरा आदि मिलाकर रोटी बनवाएं।

-मीठे फलों का सेवन न करें।

-सेब, अमरूद, पपीता, नाशपाती, संतरा, मौसमी का सेवन कर सकते हैं।

-दवा नियमित रूप से लेते रहें।

-दो-दो घंटे के अंतराल में थोड़ा-थोड़ा कुछ न कुछ पौष्टिक खाते रहें। -----------

मधुमेह के लक्षण

-बार-बार पेशाब आना और प्यास लगना

-भूख अधिक लगना और अधिक थकान रहना

-नजर का कमजोर होना।

- वजन का अचानक कम होना

-घाव को भरने में अधिक समय लगना या घाव का न भरना

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