थानाभवन चीनी मिल आठ नवंबर से चलेगी

गन्ने की रिकवरी बढ़ गई है और अब चीनी मिलों ने पेराई सत्र शुरू करने की तिथि तय कर दी है। थानाभवन चीनी मिल आठ नवंबर से शुरू होगी और ऊन मिल भी दस नवंबर को शुरू हो सकती है। शामली मिल में पेराई सत्र आठ नवंबर से शुरू करने की घोषणा पहले ही हो चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 11:09 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 11:09 PM (IST)
थानाभवन चीनी मिल आठ नवंबर से चलेगी
थानाभवन चीनी मिल आठ नवंबर से चलेगी

शामली, जागरण टीम। गन्ने की रिकवरी बढ़ गई है और अब चीनी मिलों ने पेराई सत्र शुरू करने की तिथि तय कर दी है। थानाभवन चीनी मिल आठ नवंबर से शुरू होगी और ऊन मिल भी दस नवंबर को शुरू हो सकती है। शामली मिल में पेराई सत्र आठ नवंबर से शुरू करने की घोषणा पहले ही हो चुकी है।

इस बार अक्टूबर में ही पेराई सत्र शुरू करने की योजना थी, लेकिन बारिश के कारण गन्ने की रिकवरी कम रही। ऐसे में दीपावली के बाद ही चीनी मिल चलना तय हो गया था। रविवार को बारिश हुई थी और इसके बाद मौसम ठीक है। ऐसे में रिकवरी भी बढ़ने लगी है। ऊन चीनी मिल क्षेत्र में 7.78, थानाभवन चीनी मिल क्षेत्र में 8.10 और शामली चीनी मिल क्षेत्र में 8.16 फीसद रिकवरी आई है। शासन के निर्देश हैं कि 8.90 फीसद रिकवरी आने पर ही पेराई सत्र शुरू हो। ऐसे में दीपावली के बाद की तिथि तय की गई है।

जिला गन्ना अधिकारी विजय बहादुर सिंह ने गुरुवार को चीनी मिल के अधिकारियों के साथ बैठक की और दीपावली से पहले ही इंडेंट यानी पर्चियां जारी करने के लिए कहा है। हालांकि शामली चीनी मिल के क्रय केंद्रों पर तौल पांच नवंबर से शुरू होगी और तीन नवंबर को इंडेंट दे दिया जाएगा। इसी तरह मिल गेट का इंडेंट भी छह नवंबर को दे दिया जाएगा। थानाभवन मिल के महाप्रबंधक (गन्ना) जेबी तोमर ने बताया कि एक नवंबर को इंडेंट सहकारी गन्ना विकास समिति को भेज दिया जाएगा।

जिला गन्ना अधिकारी विजय बहादुर सिंह ने बताया कि किसानों को पर्चियां पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एसएमएस के माध्यम दी जाएंगी। अगर किसी को नंबर बदलवाना है तो ई-गन्ना एप पर जाकर संशोधन किया जा सकता है। आनलाइन घोषणा पत्र पेराई सत्र शुरू होने तक भरे जाएंगे। किसानों को कैलेंडर और सट्टे से जुड़ी कोई समस्या होगी तो पेराई सत्र शुरू होने के बाद हर 15-15 दिन में कमेटी की बैठक होगी, जिसमें समाधान किया जाएगा। हालांकि सट्टा प्रदर्शन मेले में ज्यादातर किसानों की समस्याओं का समाधान किया जा चुका है।

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