रकबा बढ़ा, पर चीनी मिलों में कम हुई पेराई

गन्ने के रकबे में खासी बढ़ोत्तरी होने के बाद भी चीनी मिलों में पेराई कम हुई है। थानाभवन व ऊन चीनी मिल में पेराई बंद हो चुकी है और शामली चीनी मिल में भी अंतिम चरण में है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 10:56 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 10:56 PM (IST)
रकबा बढ़ा, पर चीनी मिलों में कम हुई पेराई
रकबा बढ़ा, पर चीनी मिलों में कम हुई पेराई

शामली, जेएनएन। गन्ने के रकबे में खासी बढ़ोत्तरी होने के बाद भी चीनी मिलों में पेराई कम हुई है। थानाभवन व ऊन चीनी मिल में पेराई बंद हो चुकी है और शामली चीनी मिल में भी अंतिम चरण में है।

गन्ना भुगतान की बड़ी समस्या है। लेकिन इसके बावजूद किसानों की पहली पसंद गन्ना ही है। वर्ष 2019-20 पेराई सत्र के लिए जिले में गन्ने का क्षेत्रफल 69876 हेक्टेयर था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 79700 हेक्टेयर हो गया था। करीब दस हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई थी। लेकिन सरकार ने लगातार तीसरे पेराई सत्र में भी राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) नहीं बढ़ाया था। साथ ही भुगतान की व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ। इस बार पहले के मुकाबले कोल्हू और क्रेशर काफी अधिक लगे थे। कभी भाव काफी कम रहा तो कभी थोड़ा बढ़ा। लेकिन किसानों को धनराशि की जरूरत थी तो काफी गन्ना कोल्हू-क्रेशर पर बेचा गया। साथ ही पिछले सालों के मुकाबले फसल भी कुछ कमजोर रही है, जिससे उत्पादन अपेक्षित नहीं मिला है। चीनी मिलों में गत सत्र में 378.12 लाख कुंतल गन्ने की पेराई हुई थी और इस बार 353.51 लाख कुंतल की हुई है।

23.39 फीसद ही भुगतान

जिले में अभी तक कुल देय का 23.39 फीसद ही भुगतान हुआ है। 13 मई तक की रिपोर्ट के अनुसार 1103.95 करोड़ रुपये कुल देय बैठता है और इसके सापेक्ष 258.16 करोड़ रुपये भुगतान हुआ है। 845.79 करोड़ रुपये बकाया है। गत वर्ष कुल देय 1216.59 करोड़ रुपये था।

गन्ना ही पहली पसंद

गन्ने की फसल के रकबे में कोई कमी आने जैसी स्थिति नहीं है। हां, थोड़ी-बहुत वृद्धि ही हो सकती है। ऊन और थानाभवन चीनी मिल ने सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। शामली मिल क्षेत्र में भी कुछ दिनों में सर्वेक्षण शुरू हो जाएगा। इसके बाद ही पता चलेगा कि जिले में गन्ने के क्षेत्रफल की स्थिति क्या है।

गन्ना पेराई (लाख कुंतल में)

चीनी मिल, वर्ष 2019-20, वर्ष 2020-21

ऊन, 105.06, 105.12

थानाभवन, 152.93, 136.82

शामली: 120.14, 111.57 (अब तक) मजबूरी में औने-पौने दाम पर बेचा गन्ना

भारतीय गन्ना किसान संघ के अध्यक्ष अनिल मलिक ने बताया कि कोरोनाकाल में मजदूरों की भी दिक्कत रही थी। उर्वरकों की उपलब्धता भी प्रभावित रही थी। बरसात भी काफी कम हुई। कुल मिलाकर उत्पादन करीब 15 फीसद कम रहा। साथ ही नकद भुगतान के लिए काफी कम दाम पर किसान ने कोल्हू पर गन्ना बेचा है। तीन सत्र से तो सरकार ने गन्ने का भाव एक रुपया भी नहीं बढ़ाया।

इन्होंने कहा..

कोल्हू-क्रेशर इस बार काफी थे। साथ ही उपज भी कुछ कम रही है। उपज के आंकड़े कुछ समय बाद शासन से जारी होंगे। वहीं, इस बार तो किसानों को पर्चियों की कोई समस्या नहीं होने दी गई।

-विजय बहादुर सिंह, जिला गन्ना अधिकारी, शामली

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