इतना भ्रष्टाचार.. मैं शर्मिदा हूं

सफेद पायजामा और प्रेस किया हुआ कुर्ता पहने चचा जुम्मन तेजी से कहीं लपकने की फिराक में थे तो खबरजी ने उन्हें ही लपक लिया। चचाजान आज कहां। सुबह-सुबह टोकने पर चचा ने खूब नाक-भौंह सिकोड़े।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 08:37 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 08:37 PM (IST)
इतना भ्रष्टाचार.. मैं शर्मिदा हूं
इतना भ्रष्टाचार.. मैं शर्मिदा हूं

शामली, जागरण टीम। सफेद पायजामा और प्रेस किया हुआ कुर्ता पहने चचा जुम्मन तेजी से कहीं लपकने की फिराक में थे तो खबरजी ने उन्हें ही लपक लिया। चचाजान आज कहां। सुबह-सुबह टोकने पर चचा ने खूब नाक-भौंह सिकोड़े। अंदर ही अंदर खबरची को खूब कोसा, लेकिन खबरची को ना तो फर्क पड़ना था और ना ही पड़ा। चचा ने अनसुना करके जाने की भी कोशिश की तो खबरची ने चचा का हाथ पकड़ा और बोला, क्या हुआ। आज मंजिल-ए-मकसूद किस तरफ है। चचा बोले कि एक जलसे में जा रहा हूं। खबरची के दिमाग में शक का कीड़ा गुनगुनाया। अभी तो चुनाव दूर हैं और सरकार ने भी जलसों की अनुमति नहीं दी है तो फिर चचा को निमंत्रण किसने दिया। खबरची ने चचा पर दूसरा सवाल दागा। चचा इस उम्र में भी आपने अपनी जवानी की हरकतें बंद नहीं की। जवानी के दिनों में आप झूठ बोलकर खबरची को कितना परेशान करते थे। कहीं पर निगाहें-कहीं पर निशाना कहावत ने आपकी आदत देखकर ही इस धरती पर कदम रखा है। अपनी सभी चालें पिटती देखकर चचा ने हाथ डाल दिए। फिर सवाल दागा कि तुम्हें आज कुछ काम-धाम है कि नहीं। तुम्हें नहीं है तो शहर के सम्मानित और बुजुर्ग लोगों को तो चैन की सांस लेने दिया करो। चचा का रुख देखकर खबरची के माथे पर त्योरी पड़ी और बढ़ी। फिर सवाल दागा। चचा कौनसी भाषा बोल रहे हो। काम धाम और तुम्हें। चलो अब ज्यादा नाटकबाजी नहीं करो। बताओ, जल्दी। आज सफर किस ओर है। चचा बोले, सरकार ने भ्रष्टाचारमुक्त शासन की घोषणा की है। आज उसी का सम्मेलन है। उसी में मुझे मुख्य अतिथि बनाकर बुलाया गया है। चचा की इस उपलब्धि पर खबरची का मन तो किया जी भरकर हंसू, नाचूं और गाऊं, लेकिन हरिओम पंवार की कविता की यह पंक्ति याद आ गई कि मेघ-मल्हारों वाला अंतकरण कहां से लाऊं। चचा से सवाल किया कि भाषण लिखकर लाए हो या फिर ऐसे ही बोलेगे। चचा ने दरख्वास्त की, तुम्हीं कुछ मदद कर दो। खबरची ने उनकी उम्र पर तरस खाया और एक चक्कर सरकारी कार्यालयों में लगवाया। इसके बाद कुछ सरकारी फाइलें उनकी नजर कीं। कार्यालय और सरकारी पत्रावलियों पर नजर पड़ते ही चचा ने सवाल दागा। मियां ये क्या है। खबरची ने कहा कि चलते-चलते बात करते हैं। आपकी मंजिल भी आ जाएगी और सफर भी कट जाएगा। चचा बोले, यहां तो गजब मामला है। कहीं पर बिना तालाब खोदे ही पैसा ले लिया गया है। कहीं पर अपात्र लोगों के कैटल शेड बने हैं। कहीं अपात्र लोगों के प्रधानमंत्री आवास से घर बनवा दिए हैं। कहीं तीन-तीन महीने में सड़क उखड़ी पड़ी है। खबरची ने कहा कि असली मामला तो देखो अपात्रों को भी मलाइदार कुर्सी देकर लूटने का लाइसेंस दे दिया है। बात करते-करते हम कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। चचा को बोलने के लिए माइक पर बुलाया गया। माइक संभालते ही चचा ने कहा कि जनपद में बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए भाषण के नाम पर मैं केवल एक वाक्य बोल सकता हूं। मैं शर्मिदा हूं।

chat bot
आपका साथी