स्माग की गिरफ्त में आंखें और सांसे
प्रदूषण के साथ ही स्माग की चादर फिर से फैल रही है। स्माग फैलने के कारण आंखों में जलन के साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
शामली, जेएनएन। प्रदूषण के साथ ही स्माग की चादर फिर से फैल रही है। स्माग फैलने के कारण आंखों में जलन के साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो रही है। शाम होते ही स्माग शहर को अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया है। यह सिलसिला सुबह तक ही रहता है। हालांकि धूप निकलने के साथ ही स्माग भी गायब हो जाता है। रविवार शाम से सोमवार को भी स्माग छाया रहा।
पिछले दिनों हुई बारिश के बाद स्माग का असर कुछ खत्म हुआ था। अब फिर से सुबह व शाम के समय स्माग का असर दिखाई दे रहा है। इसके चलते लोगों को आंखों में जलन महसूस होने लगी है। सुबह सैर और दुपहिया वाहनों पर जाने वाले लोगों को आंखों में जलन की शिकायत हो रही है। सांस व दमा के मरीजों ने सुबह की सैर पर जाना भी छोड़ दिया है। सोमवार की सुबह आसमान में छाए स्माग के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि सुबह नौ बजे के बाद सूर्यदेव के दर्शनों के साथ ही धीरे धीेरे स्माग छट गया। लेकिन यह सिलसिला सोमवार को सायं होते ही फिर से शुरू हो गया।
-सांस के रोगियों की बढ़ी परेशानी
सीएचसी शामली के चिकित्सक डा. दीपक कुमार स्माग से बचने की सलाह देते है। बताते है कि वातावरण में कोहरे की तरह नजर आने वाला जहरीला धुआं है। इससे सांस रोगियों को काफी परेशानी हो सकती है। अस्थमा व टीबी के रोगी स्माग से बचे। इसके लिए घर से निकलने में परहेज ही करें। जरूरी कार्य है तो मास्क अनिवार्य तौर पर लगाए। हृदय व फेफड़ों को भी यह नुकसान ही पहुंचाता है। इसके लिए तरल पदार्थ अधिक लेना चाहिए। घर के भीतर ही योग व व्यायाम आदि करें तो अच्छा रहेगा, बाहर दौड़ने व टहलने से बचे। बच्चों का रखें विशेष ध्यान
बाल रोग विशेष डा. वेदभानु मलिक ने बताया कि बच्चों का स्माग से बचाव बेहद जरूरी है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। फेफडे भी कमजोर होते है, इसलिए स्माग से बचाने के लिए उन्हें घर में ही रखे। बाहर निकलते समय व मास्क लगवाए, हाथों को कपड़े से ढककर रखे।