श्रवण ने राजा दशरथ के मारे तीर से तड़प-तड़पकर त्यागे प्राण
गांव हसनपुर लुहारी में आयोजित रामलीला के मंचन में कलाकारों ने रावण वेदवती संवाद और श्रवण लीला प्रसंगों क मंचन किया।
शामली, जेएनएन। गांव हसनपुर लुहारी में आयोजित रामलीला के मंचन में कलाकारों ने रावण वेदवती संवाद और श्रवण लीला का भव्य मंचन किया।
गांव के स्थानीय कलाकारों ने मेन बाजार स्थित रामलीला मंच पर श्रवण कुमार नाटक का जीवंत मंचन प्रस्तुत किया। दशरथ के बाण से सरयू नदी पर श्रवण की मृत्यु हो जाने पर उसके वृद्ध माता-पिता के पुत्र वियोग में तड़पकरा श्राप देते हुए प्राण त्याग देते हैं। तत्पश्चात श्रीराम सहित चारों भाइयों के जन्म की लीला का सुंदर मंचन प्रस्तुत किया गया।
रामलीला कमेटी डायरेक्टर मनोज रुहेला ने मौजूद दर्शकों को बताया कि रामायण का सार है कि हे मानव, तू राम बन, रावण न बन, राम सी पूजा हो तेरी, ऐसा तू इंसान बन, पुरुष हो तो राम जैसा, नारी हो तो सीता जैसी, भाई हो भरत व लक्ष्मण जैसा, पुत्र हो तो लवकुश जैसा, सेवक हो हनुमान जैसा। रामलीला के मंच पर अनुज सैनी ने वेदवती, नाथीराम ने रावण, सन्नी ने श्रवण कुमार, धर्मपाल ने दशरथ, रामपाल ने श्रवण की माता और नाथीराम सैनी ने श्रवण के पिता का अभिनय किया। वहीं दूसरी ओर जलालाबाद के गांधी चौक में आयोजित रामलीला मंचन में कलाकारों ने मारीच सुबाहु वध, पुष्प वाटिका का प्रसंग का मंचन प्रस्तुत किया। सीता स्वयंवर में भाग लेने के लिए राजा जनक के निमंत्रण पर गुरु विश्वामित्र जनकपुरी पहुंचते हैं। यहां पर दोनों राजकुमारों की शोभा को देखकर जनकपुर वासी हर्षित होते हैं। सीता सुबह में गोरी पूजा करने के लिए पुष्प वाटिका में अपनी सखियों के साथ आती हैं। वहां पर राम भी अपने भाई लक्ष्मण के साथ गुरु विश्वामित्र की पूजा के लिए उसको लेने के लिए पहुंचते हैं। पुष्प वाटिका में सीता का ध्यान राम की तरफ जाता है। पुष्प वाटिका में दोनों एक दूसरे को देखते हैं। दूर देश के राजा महाराजा भी सीता के स्वयंवर में भाग लेने के लिए जनकपुरी पहुंचते हैं। रामलीला के मंचन में राम की भूमिका में हिमांशु जुनेजा, लक्ष्मण की गौरव, रावण की भूमिका में श्यामलाल कश्यप, व बिट्टू कोरी कलाकार रहे। रामलीला मंचन को सफल बनाने में निर्देशक ब्रज भूषण उपाध्याय, देवराज जुनेजा, लालू भटनागर, संदीप भटनागर, मिटन भटनागर, डॉ सुनील पवार, मौसम कश्यप, लालचंद, अवनीश आहूजा, ठाकुर जोहर सिंह अन्य रहे।