दुकानों के आवंटन का मामला गरमाया, ईओ ने क्रियान्वयन पर लगाई रोक

नगर पालिका में दुकान आवंटन का मामला गर्माया हुआ है। अधिशासी अधिकारी ने क्रियान्वयन पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। साथ ही पालिकाध्यक्ष ने भी ईओ को पत्र भेजा है और शिकायतकर्ताओं के साथ मिलकर पालिका की छवि धूमिल करने का आरोप भी लगाया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 11:11 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 11:11 PM (IST)
दुकानों के आवंटन का मामला गरमाया, ईओ ने क्रियान्वयन पर लगाई रोक
दुकानों के आवंटन का मामला गरमाया, ईओ ने क्रियान्वयन पर लगाई रोक

शामली, जेएनएन। नगर पालिका में दुकान आवंटन का मामला गर्माया हुआ है। अधिशासी अधिकारी ने क्रियान्वयन पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। साथ ही पालिकाध्यक्ष ने भी ईओ को पत्र भेजा है और शिकायतकर्ताओं के साथ मिलकर पालिका की छवि धूमिल करने का आरोप भी लगाया गया है।

सभासद पंकज गुप्ता, राजीव गोयल, अनिल उपाध्याय, सभासद निशीरानी, सभासदपति निशीकांत संगल ने पिछले सप्ताह आरोप लगाया था कि भैंसवाल रोड पर नगर पालिका की 22 दुकान हैं और उनके आवंटन में भ्रष्टाचार हुआ है। कम दाम पर गुपचुप दुकान दे दी गई हैं। संबंधित लिपिक ने पत्नी के नाम पर दो और एक सभासद ने बेटे के नाम पर एक दुकान भी आवंटित करा ली। शिकायत अधिशासी अधिकारी से लेकर जिलाधिकारी, अपर आयुक्त, नगर विकास मंत्री, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री से की गई। अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव ने लिपिक लक्ष्मण कुमार को नोटिस जारी किया था और लिपिक ने जवाब दिया था कि पालिकाध्यक्ष के समक्ष दुकान आवंटन के आवेदन हुए थे। अधिशासी अधिकारी ने आवंटन प्रक्रिया के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के आदेश किए हैं। कहा है कि उनके स्तर पर भी जांच हो रही है। शासन-प्रशासन में भी शिकायत हुई है तो उक्त स्तर भी जांच होगी। ऐसे में किसी को भी दुकान का कब्जा न दिया जाए। ---

पत्र में कहा, मेरे आदेश पर किया गया दाम तय

क्रियान्वयन पर रोक के आदेश की प्रतिलिपि अधिशासी अधिकारी ने पालिकाध्यक्ष अंजना बंसल को भी भेजी थी। पालिकाध्यक्ष ने अधिशासी अधिकारी के नाम पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि 22 में से एक दुकान की नीलामी 25 फरवरी 2019 को हुई थी। शेष 21 दुकानों की नीलामी तीन बार की प्रक्रिया में भी नहीं हो सकी। 22 जनवरी 2021 को हुई बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास हुआ था कि पालिका हित में दुकानों का प्रीमियम यानी दाम तय किया जाए और पालिकाध्यक्ष को इसके लिए अधिकृत किया गया था। दो जून को उन्होंने दाम निर्धारित किए और उनके आदेश पर आए आवेदनों के आधार पर आवंटन की रसीद लिपिक ने काटी। यह भी कहा गया कि अधिशासी अधिकारी शिकायतकर्ताओं के साथ मिलकर मीडिया में बयान दे रहे हैं और पालिका की छवि को धूमिल किया जा रहा है। यह निदनीय है और सुझाव है कि राजनीति न करें। इन्होंने कहा

अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव का कहना है कि तीन बार नीलामी की प्रक्रिया हुई और बोर्ड बैठक में प्रीमियम तय करने का निर्णय भी हुआ। इस बात को कब वह मना कर रहे हैं। लेकिन आवंटन संबंधित पत्रावलियों पर उनके कोई हस्ताक्षर नहीं हुए। न ही इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई। सभासदों की शिकायत पर ही उन्हें पता चला कि आवंटन की रसीद भी लिपिक ने काट दी हैं। नगर पालिका के प्रशासनिक अधिकारी वह हैं। ऐसे में फाइल उनके हस्ताक्षर के बाद पालिकाध्यक्ष के पास जानी चाहिए थी।

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