जूते न जर्सी, कैसे भगाएं सर्दी

कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है लेकिन हालत यह है कि अभी तक काफी परिषदीय स्कूलों में बच्चों को स्वेटर और जूते नहीं मिले हैं। जिन्हें मिले हैं उनमें भी ऐसे बच्चों की बड़ी संख्या है जिनके स्वेटर साइज से छोटे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 11:00 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 11:00 PM (IST)
जूते न जर्सी, कैसे भगाएं सर्दी
जूते न जर्सी, कैसे भगाएं सर्दी

शामली, जेएनएन। कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है, लेकिन हालत यह है कि अभी तक काफी परिषदीय स्कूलों में बच्चों को स्वेटर और जूते नहीं मिले हैं। जिन्हें मिले हैं, उनमें भी ऐसे बच्चों की बड़ी संख्या है, जिनके स्वेटर साइज से छोटे हैं। अनेक बच्चों ने जूते भी छोटे साइज के मिलने की बात कही। इस हालत में बच्चे ठंड में कांपने को विवश हैं। स्थिति यह है कि गुरुवार को ही कई स्कूलों में बच्चों को स्वेटर बांटे गए।

बेसिक शिक्षा विभाग में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को स्वेटर, जूते और मौजे निश्शुल्क वितरित किए जाते हैं। जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने कई माह पहले बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और निर्देश दिए थे कि सर्दियां शुरू होने से पहले ही बच्चों को स्वेटर और जूते मुहैया करा दिए जाएं। अक्टूबर तक वितरण हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक काफी बच्चे इनसे वंचित हैं। नवंबर में हल्की ठंड शुरू हो गई थी और अब तो कोहरे के साथ कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। बरखंडी मोहल्ले में स्थित संविलियन विद्यालय बालक जूनियर हाईस्कूल में करीब 450 बच्चे पढ़ते हैं। मंगलवार को बच्चों को स्वेटर वितरित किए गए और काफी बच्चों को स्वेटर आए ही नहीं। कक्षा पांच के छात्र रिहान ने बताया कि उन्हें जो स्वेटर मिला, वह छोटा था। इसके बाद शिक्षकों ने कहा कि दूसरा स्वेटर आएगा। जूते भी अभी तक नहीं मिले हैं। माता-पिता मजदूरी करते हैं और उनके पास जूते दिलाने के भी पैसे नहीं है। इसलिए वह चप्पलों में ही स्कूल आ रहे हैं। कक्षा छह के छात्र साहिल ने बताया कि उन्हें 32 नंबर का स्वेटर आता है और शिक्षकों को यह बताया था, लेकिन 30 नंबर का स्वेटर मिला, जो नहीं आया। जूते काफी दिन पहले आए थे और छोटे थे। यही समस्या कक्षा पांच के छात्र ताबीज, कक्षा तीन की छात्रा अदीबा समेत तमाम छात्र-छात्राओं की है। वहीं, रेलपार स्थित प्राथमिक विद्यालय में भी काफी बच्चे पुराने स्वेटर या फिर घर के गर्म कपड़े ही पहनकर आ रहे हैं। दो दिन में उधड़ गया स्वेटर

बालक जूनियर हाईस्कूल के कक्षा सात के छात्र समीर ने बताया कि स्वेटर उन्हें मिल गया है, लेकिन बेहद हल्का है। ऐसे में दो ही दिन में कंधे से स्वेटर उधड़ गया है। साथ ही यह स्वेटर ठंड रोकने में कारगर भी नहीं है। स्वेटर मिले, पर आए नहीं

नगर क्षेत्र के संविलियन कन्या जूनियर हाईस्कूल में 122 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। गुरुवार सुबह ही बच्चों को स्वेटर दिए गए। प्रधानाध्यापक दीपक कुमार ने बताया कि पहले एक प्रति बच्चा 200 रुपये स्वेटर के मिलते थे और स्कूल स्तर पर ही व्यवस्था की जाती थी। पिछले साल अक्टूबर में स्वेटर दे दिए गए थे, लेकिन इस बार थोड़ा विलंब हुआ है और कारण का उन्हें पता नहीं है। कुछ बच्चों के साइज से स्वेटर छोटे भी हैं और इन्हें बदलने के लिए प्रस्ताव बनाया जा रहा है। जूते अधिकांश बच्चों को पहले ही दे दिए गए हैं। 76 हजार बच्चों का नामांकन

जिले में 537 प्राथमिक, 214 उच्च प्राथमिक और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हैं। इनमें करीब 76 हजार बच्चों का नामांकन है। स्वेटर मिले, पर बंटे नहीं

जलालाबाद: कस्बे और क्षेत्र के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में अभी तक स्वेटर नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में बच्चे को ठिठुरना पड़ रहा है। अधिकांश बच्चे बेहद गरीब परिवार से हैं और अभिभावक चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। ब्लॉक समन्वयक सुदेश कुमार ने बताया कि प्राथमिक स्कूलों के बच्चों के लिए 13332 स्वेटर प्राप्त हो चुके हैं। दिक्कत यह आ रही है कि 26 नंबर का स्वेटर है, जो पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए होता है। प्राथमिक स्कूलों में सभी छात्र-छात्राएं पांच वर्ष आयु से अधिक के हैं। ऐसे में इनका वितरण नहीं हो पा रहा है। उच्च प्राथमिक स्कूलों के करीब तीन हजार बच्चे अध्ययनरत हैं और इनके स्वेटर अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं। इन्होंने कहा..

सरकार के आदेश पर जैम पोर्टल के माध्यम से टेंडर निकाले गए थे। कुल 76685 स्वेटर प्राप्त हो चुके हैं। करीब-करीब सभी स्कूलों में वितरण हो चुका है। शासन ने 30 नवंबर तक वितरण करने के निर्देश दिए थे। साइज को लेकर थोड़ी दिक्कत है। सभी स्कूलों से इस संबंध में जानकारी मांगी जा रही है और इसके बाद इस समस्या का समाधान कराया जाएगा। जूतों का टेंडर शासन स्तर से हुआ था और इनका वितरण काफी पहले हो चुका है।

-जितेंद्र कुमार, प्रभारी, यूनिफार्म वितरण।

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