घपला छिपाने के लिए अब तालाब की पैमाइश
प्रधानमंत्री आवास में घोटाला और तालाब की भूमि पर सरकारी आवास बनाने की शिकायत हुई तो अफसरों को तालाब की पैमाइश याद आ गई। जब आवास आवंटित हो रहे थे तो उस समय हुई जांच में अफसरों को तालाब याद नहीं आया।
शामली, जागरण टीम। प्रधानमंत्री आवास में घोटाला और तालाब की भूमि पर सरकारी आवास बनाने की शिकायत हुई तो अफसरों को तालाब की पैमाइश याद आ गई। जब आवास आवंटित हो रहे थे तो उस समय हुई जांच में अफसरों को तालाब याद नहीं आया। मामले में लोकायुक्त ने रिपोर्ट तलब की और अफसरों को अपनी गर्दन फंसती नजर आई तो तालाब की पैमाइश शुरू कर दी गई।
बतादें कि थानाभवन कस्बा निवासी सुशील पांचाल ने आला अफसरों से शिकायत की थी कि डूडा के माध्यम से दिए गए सरकारी आवासों में भारी घालमेल हुआ है। इस मामले पर जब अफसरों ने कार्रवाई नहीं की तो शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त से मामले की शिकायत की। सुशील का आरोप है कि तालाब की भूमि पर भी आवास बनाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गई। इस मामले में लोकायुक्त ने जिले के अफसरों से जांच रिपोर्ट तलब की है। मामले ने तूल पकड़ा तो अफसरों ने तालाब की पैमाइश शुरू करा दी। शुक्रवार को राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर तालाब की पैमाइश शुरू की। शिकायतकर्ता सुशील पांचाल का आरोप है कि जनपद के जांच अधिकारी डूडा विभाग के अधिकारियो को बचाने व जांच को प्रभावित करने के उदेश्य से तालाब की दोबारा पैमाइश करा रहे हैं। इस पैमाइश से तालाब के रकबे की भौगोलिक स्थिति में बदलाव करने की साजिश की जा रही है। इस मामले में अहम सवाल यह है कि जब मकान के लिए धनराशि आवंटित की जाती है तो उससे पहले तीन-तीन बार जांच होती है। जियो टैगिग होती है। उस जांच में राजस्व टीम के कर्मचारी एवं अधिकारी भी शामिल होते हैं। उन्हीं की रिपोर्ट के बाद लाभार्थी को धनराशि दी जाती है। क्या राजस्व विभाग ने उस समय जांच नहीं की। यदि नहीं तो क्यों। फिर अब तालाब की पैमाइश क्यों की जा रही है। हल्का कानूनगो विनोद कुमार का कहना है कि तालाब की पैमाइश पूरी होने के बाद जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।