कुत्तों से खुद करें रक्षा, आतंक पर लगाम के नहीं कोई इंतजाम

जिले में आवारा कुत्तों की संख्या बेहिसाब है। राह चलते लोगों को कब कुत्ता काट ले और जख्मी कर दे कुछ नहीं कह सकते हैं। कुत्तों के आतंक पर जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 10:46 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 10:46 PM (IST)
कुत्तों से खुद करें रक्षा, आतंक पर लगाम के नहीं कोई इंतजाम
कुत्तों से खुद करें रक्षा, आतंक पर लगाम के नहीं कोई इंतजाम

शामली, जागरण टीम। जिले में आवारा कुत्तों की संख्या बेहिसाब है। राह चलते लोगों को कब कुत्ता काट ले और जख्मी कर दे, कुछ नहीं कह सकते हैं। कुत्तों के आतंक पर जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है। शहर, कस्बों से लेकर गांवों तक में यह समस्या बड़ी है, लेकिन कहीं भी कुत्तों को पकड़ने या नसबंदी कराने के कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में परेशानी बढ़ ही रही है।

मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों में कुत्तों के झुंड दिखाई देते हैं। रात में अगर कोई पैदल या बाइक-स्कूटी से जाता है तो कुत्ते काटने को दौड़ पड़ते हैं। ऐसे में कुत्ते से बचने के चक्कर में अनियंत्रित होकर भी काफी लोग घायल हो जाते हैं। नगर निकायों की ओर से कभी इस प्रमुख समस्या के समाधान के लिए प्रयास नहीं हुए हैं। तमाम जागरूक लोग एक नहीं, कई बार शिकायत भी कर चुके हैं।

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पंजीकरण की नहीं है कोई व्यवस्था

नगर निकायों, पशुपालन विभाग या पंचायतीराज विभाग की ओर से कुत्ते पालने के लिए पंजीकरण, लाइसेंस जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में ऐसा कोई आंकड़ा भी नहीं है कि जिले में कितने कुत्ते ऐसे हैं, जिनका पालन होता है। हालांकि नगर पालिका शामली के अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र यादव का कहना है कि संभवत: नगर निकाय एक्ट में ऐसा प्रावधान होगा। एक बार अध्ययन किया जाएगा और जल्द ही पंजीकरण की व्यवस्था को लागू कराने का प्रयास रहेगा। बना रहता है वैक्सीन का टोटा

जिले की सभी सीएचसी में एंटी रेबीज वैक्सीन निश्शुल्क लगती है। लेकिन अक्सर टोटा बना ही रहता है। कई बार तो एक-एक माह तक पूरे जिले में वैक्सीन खत्म रहती है। ऐसे में लोगों को मेडिकल स्टोर से वैक्सीन खरीदनी पड़ती है। एक डोज करीब 300 रुपये की पड़ती है। पिछले दिनों कांधला के मोहल्ला रायजादगान में एक पागल कुत्तें ने तीन बच्चों समेत छह को काटा था। जब सीएचसी कांधला गए थे तो वैक्सीन खत्म मिली थी।

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दस दिन के भीतर पहली डोज

चिकित्सक डा. पंकज गर्ग ने बताया कि जरूरी नहीं है कि सभी कुत्तों के काटने से रेबीज हो, लेकिन यह पता नहीं किया जा सकता कि किस कुत्ते में रेबीज है और किस में नहीं है। ऐसे में लापरवाही न करें। दस दिन के भीतर एंटी रेबीज की पहली डोज लगवा लें। दूसरी डोज तीन और तीसरी डोज सात दिन बाद लगती है।

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यह बरतें सावधानी

-जख्म को साफ चलते हुए पानी में साबुन लगाकर अच्छे से धोएं।

-जख्म को खुला रखें और पट्टी न करें।

-पट्टी करने से विषाणु अंदर ही अंदर फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

-एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने में लापरवाही न करें।

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बोले लोग..

कैराना-कांधला व जहानपुरा मार्ग पर आवारा कुत्तों का झुंड हर समय रहता है। बाइक सवारों के पीछे दौड़ते हैं। कई बार लोग जख्मी हो चुके हैं।

- वाजिद अली, कैराना

शहर में करीब-करीब हर जगह कुत्तों का आतंक बना हुआ है। कभी नगर पालिका ने आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान नहीं चलाया है।

-सोनू मित्तल, शामली

दो दिन पहले ही रायजादगान मोहल्ले में मेरे बेटे अभिषेक को एक पागल कुत्ते ने काट लिया था। मोहल्ले में एक नहीं, बल्कि कई आवारा कुत्तों का आतंक है।

-नरेंद्र शर्मा, कांधला

कस्बे में रोजाना कई लोगों को आवारा कुत्ते काटते हैं। इसके बाद भी इन्हें पकड़वाने की कोई व्यवस्था नहीं है। बच्चों को अकेले बाहर भेजने में डर लगता है।

-राजकुमार, गढ़ीपुख्ता इन्होंने कहा

नगर निकायों को कुत्तों की समस्या के निदान के लिए निर्देश दिए जाएंगे। इसके लिए पूरा प्लान बनाने के लिए कहा जाएगा। जल्द ही कुछ न कुछ समाधान निकाला जाएगा। -अरविद कुमार, अपर जिलाधिकारी शामली

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