दूषित 'हवा' जिदगी में घोल रही 'जहर'

जिले में हवा हो या पानी प्रदूषण से अछूता नहीं रह गया है। यही वजह है कि अब वायु प्रदूषित होने से आए दिन सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जिले में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर अधूरे निर्माण व टूटी फूटी सड़क से दिनभर उड़ने वाली धूल से सड़क किनारे व वाहन सवारों का हाल बेहाल है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Nov 2019 10:24 PM (IST) Updated:Thu, 14 Nov 2019 10:24 PM (IST)
दूषित 'हवा' जिदगी में घोल रही 'जहर'
दूषित 'हवा' जिदगी में घोल रही 'जहर'

शामली, जेएनएन। पर्यावरण प्रदूषण से आम से लेकर खास तक की जिदगी में जहर घोल रहा है। जिले में हवा हो या पानी प्रदूषण से अछूता नहीं रह गया है। यही वजह है कि अब वायु प्रदूषित होने से आए दिन सांस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जिले में दिल्ली-सहारनपुर हाईवे पर अधूरे निर्माण व टूटी फूटी सड़क से दिनभर उड़ने वाली धूल से सड़क किनारे व वाहन सवारों का हाल बेहाल है। चीनी मिलों की छाईयां हवा में उड़कर लोगों को विभिन्न बीमारियां प्रदान कर रही है। इसके साथ ही कूड़े के ढेर में आए दिन आग लगाई जाती है। इसमें प्लास्टिक के साथ ही विभिन्न रबर आदि को जलाया जाता है। इससे वायु प्रदूषण खूब हो रहा है। यहां से अक्सर गुजरने वाली रेत, मिट्टी व डस्ट की ट्रालियां खुली ही गुजरती है।

दुनिया में बढ़ती जनसंख्या के चलते प्राकृतिक साधनों का अधिक उपयोग किया जा रहा है। औद्योगीकरण से बड़े-बड़े शहर बंजर बनते जा रहे हैं। जनसंख्या बढ़ने से शहरों व नगरों में आवास-समस्या पैदा हो रही है।

उद्योगों से निकलने वाला धुआं, कृषि में रसायनों के उपयोग से भी वायु प्रदूषण बढ़ा है। जिले में वायु प्रदूषण बढ़ने से लोगों की जिदगी मुश्किल होने लगी है। चीनी मिल, फैक्ट्रियां, क्रेसर, प्लास्टिक व पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण काफी होता है। यहीं नहीं कच्ची सड़कों व टूटे हाईवे, गंदगी से धूल के सूक्ष्म कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर लोगों को बीमार कर रहा है। शामली से अक्सर गुजरने वाली रेत, मिट्टी व डस्ट की ट्रालियां खुली ही गुजरती है। इससे भी प्रदूषण बढ़ा है। आवागमन के साधनों की वृद्धि आज बहुत अधिक हो रही है। इन साधनों की वृद्धि से इंजनों, बसों, स्कूटरों आदि की संख्या बहुत बढ़ी है। जिले में 15 साल से अधिक पुराने सैकड़ों वाहन आज भी चल रहे है। हांलाकि शामली को एनसीआर में घोषित किया जा चुका है, लेकिन जिला प्रशासन की हीला हवाली से यहां ऐसे वाहनों पर कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। इससे वायुमंडल में असंतुलन हो रहा है।

सांस के मरीजों की बढ़ी संख्या

शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डा. रविद्र तोमर बताते है कि शहर में वायु प्रदूषण होने से लोगों की जान पर बन आई है। धुआं, धूल मिट्टी के चलते सांस के मरीजों को काफी तकलीफ हो रही है। पूर्व में जहां रोज सांस से संबंधित बीमारियों के मरीज एक से दो तक आते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर रोजाना 5 से 10 तक पहुंच चुकी है।

मिलकर लड़े प्रदूषण के खिलाफ जंग

पर्यावरणविद्द ईश्वरपाल फौजी कहते है, हम अब सबक लेकर प्रकृति के अनुकूल कार्य करना चाहिए। पौधारोपण व वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मिलजुलकर प्रयास करें। तभी कोई राहत मिल सकती है, वरना आगामी पीढि़यों का भविष्य संकट में आ जाएगा।

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