'ममता' से जंग में हार रहा है कोरोना

महामारी के इस दौर में कोरोना से हर कोई जंग लड़ रहा है। नर्स दिन-रात कोविड अस्पताल में कोरोना पाजिटिव मरीजों की देखभाल कर रही हैं। ऐसी ही नर्स हैं ममता। कोविड अस्पताल में कार्य करते हुए वह खुद भी पाजिटिव हो गई थीं। खुद की देखभाल की।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 10:50 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 10:50 PM (IST)
'ममता' से जंग में हार रहा है कोरोना
'ममता' से जंग में हार रहा है कोरोना

शामली, आकाश शर्मा। महामारी के इस दौर में कोरोना से हर कोई जंग लड़ रहा है। नर्स दिन-रात कोविड अस्पताल में कोरोना पाजिटिव मरीजों की देखभाल कर रही हैं। ऐसी ही नर्स हैं ममता। कोविड अस्पताल में कार्य करते हुए वह खुद भी पाजिटिव हो गई थीं। खुद की देखभाल की। अच्छा खाना खाया और कोरोना को हरा दिया। शरीर में अभी कमजोरी है, लेकिन महामारी को देखते हुए वह ड्यूटी पर आ गई हैं। मरीजों की देखभाल करने में उन्हें आत्मसंतोष मिलता है।

कोरोना वायरस से बचने के लिए हर कोई अपनी सुरक्षा में लगा है। दूसरी ओर ममता जैसी नर्स कोविड अस्पताल में ड्यूटी करते हुए कोरोना पाजिटिव मरीजों की सेवा करने में जुटी हैं। ममता कोरोना योद्धा की दिन-रात जब भी उनकी ड्यूटी लगाई जाए, वह परिवार की चिता छोड़कर कार्य करती है। उन्होंने बताया कि पिछले साल कोरोना काल के दौरान उन्होंने झिझाना कोविड अस्पताल में ड्यूटी की। उसके बाद सीएचसी में वैक्सीनेशन सेंटर पर कुछ दिनों तक कार्य किया। दोबारा बढ़ते संक्रमण के बाद उनकी ड्यूटी शामली एल-2 अस्पताल में लगा दी गई। वह खुद सावधानी बरतते हुए मरीजों के बीच पहुंचकर उनकी देखभाल करती रहीं। ड्यूटी के दौरान 22 अप्रैल को उनको हल्का बुखार हो गया। टेस्ट कराया तो 25 अप्रैल को रिपोर्ट पाजिटिव आई। उन्होंने बिल्कुल भी तनाव नहीं लिया। परिवार से अलग रहते हुए डाक्टर की सलाह पर उपचार शुरू किया। तीन दिन बाद ही उन्हें तेज बुखार हुआ। लगातार तीन-चार दिन तक उनको 104 बुखार भी रहा। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। खाना समय से खाने के साथ ही दवाई लेती रही। डाक्टर को अपनी स्थिति से अवगत कराती रहीं। सोमवार दस मई को उन्होंने अपनी जांच दोबारा कराई तो अब उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। उनकी ड्यूटी दोबारा एल-2 में लगाई जा सकती है। वह सावधानी के साथ ड्यूटी करेगी। बतौर ममता कोरोना महामारी से उबरने के लिए दवा की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही जो चीज सबसे ज्यादा असर करती है वह है मरीज के प्रति आपकी सेवाभावना।

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