बच्चों को सौंपी जिम्मेदारी, चुनाव के बाद मिले पद

शामली जेएनएन स्काटिश स्कूल में छात्र काउंसलर पद के लिए चुनाव कराया गया। विजेताओं को विभिन्न पदों पर जिम्मेदारी दी गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Jan 2021 11:13 PM (IST) Updated:Fri, 29 Jan 2021 11:13 PM (IST)
बच्चों को सौंपी जिम्मेदारी, चुनाव के बाद मिले पद
बच्चों को सौंपी जिम्मेदारी, चुनाव के बाद मिले पद

शामली, जेएनएन : स्काटिश स्कूल में छात्र काउंसलर पद के लिए चुनाव कराया गया। विजेताओं को विभिन्न पदों पर जिम्मेदारी दी गई।

शुक्रवार को शहर के कैराना रोड स्थित स्काटिश स्कूल की प्रधानाचार्य आशु त्यागी ने बताया कि स्कूल को सुचारू व व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए छात्र काउंसलर पद पर बच्चों के बीच चुनाव कराया गया। इसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। विजेता छात्र-छात्राओं को जिम्मेदार पद की कमान सौंपी गई। प्रधानाचार्य ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि स्कूल एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां से अच्छे नेता, अच्छे शिक्षक, अच्छे नागरिक व समाज को गति देने वाले विचार व विचारक जन्म लेते हैं। विद्यालय निदेशक राजीव गर्ग व रितेश गर्ग ने बच्चों को बधाई देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। प्रधानाचार्य ने बताया कि इशिता छाबड़ा को हेड गर्ल, राघवेंद्र सिंह को हेड बाय बनाया गया है। अन्य छात्र-छात्राओं को भी विभिन्न पदों की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान प्रदीप त्यागी, शिक्षक प्रेम संगल, नितिन गर्ग आदि शिक्षक मौजूद रहे।

बजट में शिक्षित बेरोजगारों का रखें ख्याल

शामली : आम बजट हर एक वर्ग के लिए कल्याणकारी हो, इसका ध्यान रखने की मांग की जा रही है। वहीं, बजट से शिक्षित बेरोजगार युवाओं को भी काफी उम्मीदें है। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों के विस्तार की मांग उठ रही है। आज के दौर में उच्च शिक्षा हासिल करने में काफी खर्च होता है। कड़ी मेहनत के साथ पढ़ाई कर युवा शिक्षा हासिल कर रहे हैं। लेकिन वैकेंसी नहीं रहने के कारण युवाओं को रोजगार पाना काफी कठिन है। वहीं ग्रामीण अंचल में युवा अपनी कला व प्रतिभा के दम पर काम करना चाहते है, लेकिन उन्हें इसके लिए सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है। कलाकारों के लिए भी बजट में व्यवस्था होनी चाहिए।

- सन्नी कुमार, युवा

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उच्च शिक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को अपने घर से दूर रहकर पढ़ाई करनी पड़ती है। बाहर रहकर पढ़ने में काफी खर्च लगता है। इसके साथ ही कठिन परिश्रम भी करना पड़ता है। शिक्षा हासिल करने के बाद युवाओं को रोजगार पाने की चिता होने लगती है। वैकेंसी के अभाव में समय पर रोजगार नहीं मिल पा रहा है। युवाओं को मजबूरन निजी संस्थान में रोजगार करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से छह माह पर वैकेंसी निकालनी चाहिए।

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