नेटवर्क की समस्याओं के बीच अटकी आनलाइन कक्षा

जिले के सभी स्कूलों में कोरोना काल के चलते पढ़ाई आनलाइन चल रही है लेकिन आनलाइन कक्षा को सालभर चलते हुए हो गया। गांव-देहात के छात्र-छात्राएं अभी भी आनलाइन कक्षाओं से वंचित हैं। जिसके विभिन्न कारण हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 11:05 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 11:05 PM (IST)
नेटवर्क की समस्याओं के बीच अटकी आनलाइन कक्षा
नेटवर्क की समस्याओं के बीच अटकी आनलाइन कक्षा

शामली, जागरण टीम। जिले के सभी स्कूलों में कोरोना काल के चलते पढ़ाई आनलाइन चल रही है, लेकिन आनलाइन कक्षा को सालभर चलते हुए हो गया। गांव-देहात के छात्र-छात्राएं अभी भी आनलाइन कक्षाओं से वंचित हैं। जिसके विभिन्न कारण हैं। देहात क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या है। कुछ के पास स्मार्ट फोन भी नहीं जिस कारण ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर छात्र-छात्राएं आनलाइन कक्षा से वंचित हैं।

जिले के लोग डिजिटल युग में भी नेटवर्क की बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। मोबाइल पर बात करने से लेकर इंटरनेट चलाना मुश्किल है। वर्क फ्राम होम या आनलाइन कक्षा में पढ़ाई करने वाले बच्चे सभी परेशान हैं। यहां कैराना, कांधला, झिझाना क्षेत्र के गांवों की स्थिति ये है कि गांव में मोबाइल टावर बहुत कम हैं। जिस कारण परेशानी बनती है। पढ़ाई का नुकसान हो रहा है, लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिले के खादर क्षेत्र में तो नेटवर्क की समस्या बहुत अधिक है। यहां लोगों को फोन पर बात करने के लिए भी घर से बाहर निकलना पड़ा है। वहीं, कैराना क्षेत्र के करीब 15 गांव खादर में ऐसे हैं, जहां मोबाइल टावर बहुत कम हैं। जिस कारण लोगों को नेटवर्क की सुविधा नहीं मिल रही है।

मोबाइल कंपनियों की ओर से इसका कोई विकल्प भी नहीं निकाला जा रहा है। जब सिविल सर्विस की तैयारी कर रही छात्राएं नेटवर्क की समस्याओं से ज्यादा परेशान हो गई तो डीएम कार्यालय पहुंचकर डीएम से मुलाकात की और समस्याओं के बारे में अवगत कराया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ। वहीं, कई बार तो फोन काल सुनने के लिए पेड़ पर बैठकर फोन पर बात करनी पड़ती है। जलालाबाद, चौसाना आदि क्षेत्र की स्थिति भी ऐसी ही है। कांधला क्षेत्र के गांव डांगरोल निवासी अंतरराष्ट्रीय अंपायर अनिल चौधरी के भतीजे राजन जावला ने बताया कि गांव में नेटवर्क की बड़ी समस्या हैं। चाचा पिछले साल गांव आए तो उन्होंने इसकी शिकायत भी की थी। जिसके बाद गांव में टावर लगा, लेकिन समस्या अभी भी है। फोन सुनने के लिए भी पेड़ पर बैठकर बातचीत करते हैं। यहां छात्राओं को नलकूप की छतों पर पढ़ाई करनी पड़ती है।

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