प्रशासन-खान विभाग के पास नहीं अस्थायी पुल की अनुमति व नक्शा

जागरण संवाददाता शामली खनन विभाग के खेल भी निराले हैं। बात उतनी ही बाहर निकलने दी जाती

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 10:32 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 10:32 PM (IST)
प्रशासन-खान विभाग के पास नहीं अस्थायी पुल की अनुमति व नक्शा
प्रशासन-खान विभाग के पास नहीं अस्थायी पुल की अनुमति व नक्शा

जागरण संवाददाता, शामली : खनन विभाग के खेल भी निराले हैं। बात उतनी ही बाहर निकलने दी जाती है, विभाग जितना जरूरी समझता है। यमुना नदी पर मामौर-सहपत में बनाए गए अस्थायी पुल के मामले में अब चौंकाने वाली जानकारी एक के बाद एक सामने आ रही है। यमुना की मुख्यधारा पर जिस अस्थायी पुल की खनन विभाग अनुमति बता रहा है, उसका अनुमति पत्र, नक्शा तक खनन विभाग के पास नहीं है। विभाग को नहीं पता कि यमुना पुल पर बनाया जाने वाला पुल कितना लंबा-चौड़ा होगा। इसमें किस साइज के पाइप व अन्य सामान का उपयोग किया जाएगा। इस मानचित्र को किसी ने तकनीति विभाग ने स्वीकृति दी है या नहीं, इसकी भी जानकारी नहीं है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से नोटिस जारी होने पर अब जिला प्रशासन-खनन विभाग इन दस्तावेजों को तलाश रहा है।

जिला प्रशासन ने मामौर-सहपत के पास खनन का ई-टेड¨रग से पट्टा छोड़ा है। एमएम कंपनी को यह पट्टा आवंटित किया गया है। खनन ठेकेदार को मिला पट्टा यमुना के हरियाणा की ओर वाले हिस्से में है। जिला प्रशासन के अनुसार, यह जमीन यूपी की है। आवंटित जगह पर आने-जाने का रास्ता यमुना के हरियाणा की ओर से है। हरियाणा सीमा की ओर जाने से बचने को ठेकेदार ने अस्थायी पुल यमुना की मुख्यधारा पर बनाया है। यमुना की मुख्यधारा पर बने इस पुल की ठेकेदार ¨सचाई विभाग से अनुमति मिलने की बात कह रहा है जबकि ¨सचाई विभाग के एसई, अधिशासी अभियंता व एसडीओ ड्रेनेज कोई अनुमति देने से इंकार कर चुके हैं। ¨सचाई विभाग ने मुख्यधारा पर बने पुल को अवैध बताया है। अस्थायी पुल से यमुना किनारे तेजी से कटान हो रहा है। मुख्यधारा भी प्रवाहित हो रही है। अस्थायी पुल को यमुना नदी कई बार क्षतिग्रस्त कर चुकी है। अब यमुना किनारे से मिट्टी खनन कर अस्थायी पुल को तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है। ¨सचाई विभाग ने ठेकेदार के यमुना किनारे के बंधे व क्षतिग्रस्त होने, बंधे पर खनन वाहनों के आवागमन रोकने को कैराना पुलिस से सहयोग मांगा है। इसका लिखित पत्र थाने को सौंपा गया है। अधिकारी अब खनन विभाग व ठेकेदार को भी पत्र भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

उधर, एनजीटी ने अस्थायी पुल पर दायर संदीप खर्ब की एक याचिका पर 14 फरवरी 19 को प्रदेश की एसपीसीबी समिति, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, जिला प्रशासन व खनन विभाग से एक माह में जवाब मांगा है। एनजीटी के इस आदेश के बाद हड़कंप की स्थिति है। जिला प्रशासन, खनन विभाग के पास अस्थायी पुल को लेकर कोई अनुमति, बनाए जाने वाले पुल का मानचित्र, तकनीकि रिपोर्ट या एनओसी तक नहीं है। फिर किस आधार पर अस्थायी पुल बनाया जा रहा है? इसका जवाब जिला प्रशासन, खनन विभाग के पास नहीं है। ¨सचाई विभाग के अधिकारियों की माने तो नियमानुसार, पुल का मानचित्र, तकनीकि संस्थान से उसका अनुमोदन, लंबाई-चौड़ाई, स्थान व यमुना के किस स्थान पर बनाया जाना है, उसका पूरा नक्शा होना चाहिए। इस बारे में खनन विभाग व जिला प्रशासन से जानकारी की गयी तो उन्होंने ऐसे दस्तावेज होने से इंकार किया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ में ईसी कमेटी के समक्ष ही यह दस्तावेज दिए गए होंगे, हमें ऐसे दस्तावेज न तो भेजे गए है और न ही दिए गए है। इससे साफ है कि यमुना पर बनाए जा रहे पुल पर अनुमति व नियमानुसार काम होने के दावे हवाई है।

अस्थायी पुल की अनमुति, मानचित्र, तकनीकित समिति की रिपोर्ट, एनओसी का कोई दस्तावेज नहीं है। केवल ईसी कमेटी की एनओसी है। इसमें अस्थायी पुल निर्माण की बात कही गयी है। यह पुल कहां, कितना बड़ा व कैसा होगा, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

ब्रिजेश गौतम, जिला खनन अधिकारी शामली

-------

लोकेश पंडित

chat bot
आपका साथी