मुकीम व साबिर ने कग्गा से सीखा जरायम का ककहरा
मुकीम काला और साबिर दोनों ही दोस्त थे और मजदूरी करते थे। दोनों ने ही कग्गा से जरायम का ककहरा एक साथ पढ़ा था। इसके बाद कई बड़ी घटनाएं दोनों ने साथ मिलकर की थी।
जेएनएन, शामली। मुकीम काला और साबिर दोनों ही दोस्त थे और मजदूरी करते थे। दोनों ने ही कग्गा से जरायम का ककहरा एक साथ पढ़ा था। इसके बाद कई बड़ी घटनाएं दोनों ने साथ मिलकर की थी।
कैराना थाना क्षेत्र का जहानपुरा व जंधेडी गांव की दूरी ज्यादा नहीं है। जहानपुरा निवासी मुकीम काला और जंधेडी निवासी साबिर के परिवार की आर्थिक हालत सही नहीं थी। दोनों ही मजदूरी करते थे। पुलिस के मुताबिक वर्ष 2011 में सहारनपुर, शामली व मुजफ्फरनगर जिले में मुस्तफा उर्फ कग्गा का आतंक चल रहा था। इस गिरोह के कारण व्यापारी दूसरे प्रदेशों में माल खरीदने जाने से भी कतराने लगे थे। उस समय मुकीम व साबिर ने कग्गा गिरोह में शामिल होकर एक साथ जरायम का ककहरा पढ़ा। कग्गा के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद दोनों ने अपने साथ कांधला निवासी महताब काना, मुनशाद के साथ मिलकर अपना अलग गिरोह बना लिया। इस गिरोह ने कैराना, कांधला क्षेत्र में रंगदारी मांगकर आतंक फैला दिया। पुलिस का यहां तक कहना है कि कैराना में हत्या कर व्यापारियों में दहशत फैलाने का काम मुकीम और साबिर ने ही किया था। इन दोनों को ही पुलिस मुख्य रूप से कैराना पलायन के आरोपित मानती है। दोनों पर उप्र व हरियाणा सरकार ने दो लाख का इनाम घोषित किया था। किसी पर भी भरोसा नहीं करता था काला
शामली। मुकीम काला किसी पर भी भरोसा नहीं करता था। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर मुखबिरी के शक में अपने ही साथी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने अपने मुखबिर तैयार कर मुकीम की तलाश में लगा दिए। साल 2013 शामली कोतवाली के गांव बलवा निवासी फुरकान पुत्र जमशेद भी पुलिस के लिए काम कर रहा था। शक होने पर मुकीम ने साथियों के साथ मिलकर खंदरावली के जंगल मे फुरकान की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी।