देखरेख का अभाव, कैसे पनपें लगाए लाखों पौधे

जिले में बड़ी संख्या में पौधे तो लगा दिए गए हैं लेकिन देखभाल का अभाव है। देखरेख की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की है। ग्राम पंचायतों में भी काफी पौधों का रोपण हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 11:29 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:29 PM (IST)
देखरेख का अभाव, कैसे पनपें लगाए लाखों पौधे
देखरेख का अभाव, कैसे पनपें लगाए लाखों पौधे

शामली, जागरण टीम। जिले में बड़ी संख्या में पौधे तो लगा दिए गए हैं, लेकिन देखभाल का अभाव है। देखरेख की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की है। ग्राम पंचायतों में भी काफी पौधों का रोपण हुआ। बरसात से सिचाई की समस्या कम हुई है। लेकिन काफी पौधे सूखकर झाड़ी में तब्दील हो गए हैं। वन विभाग का दावा है कि विभाग ने जो पौधे लगाए हैं, उनकी देखभाल के लिए व्यवस्था की गई है।

वन महोत्सव के तहत जिले में 10.90 लाख पौधे लगाए गए थे। इसके बाद भी पौधारोपण होता रहा और 13.08 लाख पौधे लगाने का दावा है। हालांकि यह भी सामने आया कि पौधे कार्यालयों में रखे ही सूख गए। पिछले दिनों कांधला पशु चिकित्सालय का मामला सामना आया था। खैर, दिक्कत यह है कि पौधे तो उत्साह के साथ लगाए जाते हैं, लेकिन अधिकांश विभाग फिर भूल जाते हैं। अगर बारिश न हो तो सिचाई भी नहीं होती है। पशु भी तमाम स्थानों पर लगे पौधों को नष्ट कर देते हैं। ऐसे में लगाए पौधों में से काफी कम ही पेड़ बन पाते हैं। जिलाधिकारी जसजीत कौर ने सभी विभागों को पौधों की गंभीरता के साथ देखभाल करने के निर्देश दिए हुए हैं।

डीएफओ नरेंद्र कुमार ने बताया कि वन विभाग ने 15 स्थानों पर 2.40 लाख पौधे लगाए हैं। देखभाल को सभी स्थानों के लिए एक-एक श्रमिक (कैटल गार्ड) की व्यवस्था की गई है। सिचाई के लिए पूरे इंतजाम हैं। पौधों की सुरक्षा के लिए गार्ड कुछ ही स्थानों पर लगाए जाते हैं। जैसे पक्की गलियां और वह स्थान जहां पर जगह कम हो। सभी पौधों की जियो टेगिग भी होती है, जिससे निगरानी की जा सके।

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यह पौधे अधिक लगाए गए

सरकार ने निर्देश दिए थे कि आक्सीजन और औषधीय गुण वाले पौधे अधिक लगाए जाएं। ऐसे में वन महोत्सव के तहत बरगद, पीपल, मौलसरी, सहजन, चक्रेशिया, सिल्वर आक, पिलखन, जामुन, अर्जुन, कचनार, शीशम के पौधे अधिक लगाए गए हैं।

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यह है मानक

डीएफओ नरेंद्र कुमार ने बताया कि पौधारोपण अभियान जन सहयोग से ही सफल हो सकता है। खैर, मानक यह है कि अगले साल तक 85 फीसद तक पौधे बचने चाहिएं। पांच साल में अगर 50 से 60 फीसद पौधे बच जाते हैं तो पौधारोपण सफल माना जाता है।

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