पर्यावरण संरक्षण ही कमलवीर की उपासना
पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन को देखकर 18 वर्ष की आयु में ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कमलवीर वर्मा काम करने लगे थे। पेशे से अधिवक्ता हैं और घर में भी औषधीय पौधों की वाटिका बनाई हुई है। समय-समय पर बाहर भी पौधारोपण करते हैं और उनका ध्यान भी रखते हैं।
शामली, जागरण टीम। पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन को देखकर 18 वर्ष की आयु में ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कमलवीर वर्मा काम करने लगे थे। पेशे से अधिवक्ता हैं और घर में भी औषधीय पौधों की वाटिका बनाई हुई है। समय-समय पर बाहर भी पौधारोपण करते हैं और उनका ध्यान भी रखते हैं।
शामली में करनाल रोड निवासी 48 कमलवीर वर्मा ने घर में मरूआ, तुलसी, एलोविरा, करौंदा, सतावर, नीम, हल्दी को लगाया हुआ है। साथ में नीम का पेड़ भी आंगन में है और गमले में पीपल भी लगाया है। वह नियमित रूप से रोजाना एक घंटा पौधों को पानी में देने में बिताते हैं। घर में ही आडू, आम, अमरूद, नाशपाती समेत तमाम फलों के पेड़ भी हैं। विश्व पर्यावरण दिवस यानी पांच जून को गढ़ीपुख्ता की ओर से जाने वाली पूर्वी यमुना नहर पटरी पर अशोक के 15 पौधे लगाए थे। वह कुछ दिन के अंतराल पर उन्हें देखने भी जाते रहते हैं। वह विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं से भी जुड़े हैं और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने का कार्य भी करते हैं। उनका कहना है कि पर्यावरण का संरक्षण बहुत ही जरूरी है। हवा दूषित हो चुकी है, भूगर्भीय जलस्तर भी लगातार नीचे खिसक रहा है। औषधीय पौधे हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए बेहतर हैं। घर में अधिक जगह नहीं है तो गमलों में लगा सकते हैं। पौधे चाहे कम लगाएं, लेकिन जो भी लगाएं उनका ध्यान रखने की जिम्मेदारी को जरूर निभाएं। पर्यावरण ठीक होगा तो निश्चित रूप से सबकुछ ठीक रहेगा। वह भगवान की मूर्ति के आगे पूजा करना भले ही भूल जाएं, लेकिन पेड़-पौधों की देखभाल करना नहीं भूलते।