बढ़ रही जागरूकता, इस बार प्रदूषण का 'धुआं' कम

पराली-पत्ती जलाने से प्रदूषण बढ़ता है और सरकार की ओर से किसानों को जागरूक करने के साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र सस्ती दरों पर भी दिए जा रहे हैं। इसका असर दिख भी रहा है। पिछले साल 23 अक्टूबर तक जिले में पराली में आग की 20 घटना हो चुकी थी लेकिन इस बार अब तक 12 घटना पकड़ में आई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 11:11 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 11:11 PM (IST)
बढ़ रही जागरूकता, इस बार प्रदूषण का 'धुआं' कम
बढ़ रही जागरूकता, इस बार प्रदूषण का 'धुआं' कम

शामली, जागरण टीम। पराली-पत्ती जलाने से प्रदूषण बढ़ता है और सरकार की ओर से किसानों को जागरूक करने के साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र सस्ती दरों पर भी दिए जा रहे हैं। इसका असर दिख भी रहा है। पिछले साल 23 अक्टूबर तक जिले में पराली में आग की 20 घटना हो चुकी थी, लेकिन इस बार अब तक 12 घटना पकड़ में आई हैं।

कृषि विभाग की ओर से गांव-गांव किसान पाठशाला आयोजित की जा रही हैं और डिकंपोजर कैप्सूल भी दिए जा रहे हैं। एक कैप्सूल को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर पराली-पत्ती में डाल दिया जाता है। इसके बाद मिट्टी पलटकर खेत में पानी भर देते हैं। पराली-पत्ती सड़कर जैविक खाद में परिवर्तित हो जाती है। उप निदेशक कृषि डा. शिवकुमार केसरी ने बताया कि जिले में 84 फार्म मशीनरी बैंक और कस्टम हायरिग सेंटर हैं। उक्त में 21 सहकारी समितियां और छह ग्राम पंचायत में हैं। सभी मशीनरी बैंक और कस्टम हायरिग सेंटर की विस्तृत जानकारी वाली सूची खंड विकास कार्यालय में भी उपलब्ध करा दी गई है। किसान संपर्क कर किराये पर यंत्र ले रहे हैं। किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। प्रचार-प्रसार के लिए वाहन भी चल रहे हैं और गांवों में किसान पाठशाला का भी आयोजन हो रहा है। -2019 में पराली-पत्ती में आग की 56 घटना पकड़ में आई थीं।

-2020 में पराली-पत्ती में आग की 47 घटना पकड़ में आई थीं।

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उप निदेशक कृषि डा. शिवकुमार केसरी ने बताया कि सेटेलाइट से अब तक जिले में पकड़ में आई सभी घटना कैराना और ऊन ब्लाक क्षेत्र की हैं। हालांकि जुर्माने की कार्रवाई 11 किसानों पर हुई है, क्योंकि एक घटना में मौके पर सत्यापन के दौरान फसल अवशेष जलाने की पुष्टि नहीं हो सकी है। दो किसानों पर पांच-पांच हजार और नौ पर ढाई-ढाई हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। यह है कार्रवाई का प्रावधान

अगर फसल अवशेष जलाने की घटना दो एकड़ से कम फसल में होती है तो ढाई हजार रुपये, दो से पांच एकड़ तक पांच हजार, पांच एकड़ से अधिक पर 15 हजार रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। घटना की पुनरावृत्ति होने पर जुर्माने के साथ मुकदमा दर्ज होगा। साथ ही कृषि योजनाओं से भी संबंधित किसान को अपात्र किया जा सकता है।

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