लंबे समय तक न रहें भूखे, व्रत से मजबूत होगी इम्युनिटी
शामली जेएनएन। कोरोनाकाल में हम सभी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) के प्रति सजग हैं। आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं और श्रद्धालु नौ दिन तक व्रत रखते हैं। व्रत में हमें बस इस बात का ध्यान रखना है कि लंबे समय तक भूखे नहीं रहना है। ऐसी तमाम सामग्री हैं जिनका व्रत में सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक का कहना है कि अगर इस तरह से व्रत करेंगे तो रोग प्रतिरोधक क्षमता और मजबूत होगी।
शामली, जेएनएन। कोरोनाकाल में हम सभी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) के प्रति सजग हैं। आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं और श्रद्धालु नौ दिन तक व्रत रखते हैं। व्रत में हमें बस इस बात का ध्यान रखना है कि लंबे समय तक भूखे नहीं रहना है। ऐसी तमाम सामग्री हैं, जिनका व्रत में सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक का कहना है कि अगर इस तरह से व्रत करेंगे तो रोग प्रतिरोधक क्षमता और मजबूत होगी।
आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. राज तायल का कहना है कि कोरोना का प्रकोप तो है ही और अब मौसम भी बदल रहा है। बदलते मौसम में रोगों से लड़ने की ताकत प्रभावित होती है और ऐसे में अगर हम लंबे समय तक भूखा रहेंगे तो दिक्कत हो सकती है। वैसे भी व्रत का एक प्रमुख उद्देश्य शरीर की शुद्धि करना भी है। सुबह एक कप काढ़ा पी लें। दूध, मट्ठा, फल, जूस, सूखे मेवे का सेवन करें। दो से तीन घंटे के अंतराल में उक्त में से कुछ न कुछ थोड़ी मात्रा में खा सकते हैं। पानी भरपूर पिएं। आमतौर पर हम सिघाड़े या कुट्टू के आटे की पूरी-परांठे व्रत में खाते हैं। हमें तला भोजन नहीं लेना चाहिए। सिघाड़े या कुट्टू के आटे को गूथने के बाद एक घंटे के लिए रख दें और इसके बाद उसकी रोटी बनाकर खाएं। समाया चावल, सिघाडे व कुट्टू में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, प्रोटीन आदि पोषक तत्व होते हैं। सेवन से शरीर को ताकत मिलती है और हम ऊर्जावान महसूस करते हैं। भूखे रहने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तो प्रभावित होती है, साथ ही एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है।
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आंतों को मिलता है आराम
आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. मुकुट मोहन संगल ने बताया कि व्रत में गरिष्ठ और तामसिक भोजन नहीं करते हैं। अन्न का भी निषेध होता है। ऐसे में हमारी आंतों को आराम मिलता है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। व्रत में हम भूखे तो न रहें, लेकिन बहुत अधिक मात्रा में भी न खाएं। मौसम बदलाव के इस समय में हम खानपान पर नियंत्रण करने के साथ ही ध्यान-साधना करते हैं और हम भीतर से सबल बनते हैं।