-पिछले सत्र के गन्ना बकाये का पूरा हुआ भुगतान

जेएनएन शामली जिले में पिछले पेराई सत्र के गन्ना बकाये का पूरा भुगतान हो गया है। हालांकि मौजूदा पेराई सत्र का दो चीनी मिल ने ही थोड़ा भुगतान किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 06:49 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 06:49 PM (IST)
-पिछले सत्र के गन्ना बकाये का पूरा हुआ भुगतान
-पिछले सत्र के गन्ना बकाये का पूरा हुआ भुगतान

जेएनएन, शामली: जिले में पिछले पेराई सत्र के गन्ना बकाये का पूरा भुगतान हो गया है। हालांकि मौजूदा पेराई सत्र का दो चीनी मिल ने ही थोड़ा भुगतान किया है।

जिले में तीन चीनी मिल हैं। पेराई सत्र 2019-20 में किसानों ने 378.12 लाख कुंतल गन्ना बेचा था और कुल देय 1216.59 करोड़ रुपये था। भुगतान की गति सुस्त रही। ऊन चीनी मिल ने जनवरी के आखिर में पूरा भुगतान कर दिया था। थानाभवन मिल ने पूरा भुगतान फरवरी माह में ही किया था। शामली चीनी मिल पर 15 करोड़ रुपये बकाया चल रहा था। अब बकाये का पूरा भुगतान हो चुका है, लेकिन मौजूदा सत्र का तीनों चीनी मिलों पर बकाया काफी हो चुका है। नवंबर में चीनी मिल चालू हुई हैं और तब से अब तक 23 करोड़ ही भुगतान हुआ है। जबकि कुल देय 600 करोड़ रुपये से अधिक है। ऊन चीनी मिल ने 8.33 और थानाभवन चीनी मिल ने 4.71 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। शामली मिल का इस सत्र का भुगतान अभी तक शून्य है।

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किसानों का बढ़ रहा है सरकार

भारतीय किसान गन्ना संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल मलिक ने बताया कि कोरोना माहमारी में सैनिटाइजर बनाकर भी चीनी मिलों ने मुनाफा कमाया गया है। सरकार और मिलों की सांठगांठ के चलते भुगतान रोका जाता है। किसानों को ब्याज भी नहीं दिया जाता है। चीनी बिक्री भी लगातार हो रही है। इसके बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। भाकियू जिलाध्यक्ष कपिल खाटियान का कहना है कि गन्ना भुगतान न होना कहीं न कहीं सरकार की कमजोरी है। सरकार भी मिल मालिकों का ही हित देखती है। गन्ने का भाव न बढ़ने और भुगतान की समस्या बने रहने से किसानों का गुस्सा और बढ़ रहा है। शामली जिले से गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री हैं। फिर भी जिले के किसानों को भुगतान के लिए परेशान होना पड़ता है।

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चीनी के दाम हैं कम

थानाभवन चीनी मिल के वरिष्ठ महाप्रबंधक (गन्ना) जेबी तोमर ने बताया कि 15 फरवरी तक पिछले सत्र का पूरा भुगतान किया गया। हम नए सत्र का भुगतान भी शुरू कर दिया है। एक तो मिलों का चीनी बिक्री का कोटा तय है और चीनी के दाम बाजार में काफी कम हैं। हकीकत यह है कि वर्तमान सत्र की चीनी बेचकर पिछले सत्र का काफी भुगतान किया गया है।

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इन्होंने कहा..पिछले सत्र के बकाया का तो पूरा भुगतान हो गया है। अब वर्तमान सत्र का भुगतान अधिक से अधिक कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने भी चीनी मिलों को निर्देश दिए हैं कि भुगतान में तेजी लाएं। चीनी व सह उत्पादों की बिक्री के अनुसार भुगतान किया जाता है। हर चीनी मिल का चीनी बिक्री का कोटा निर्धारित होता है।

-विजय बहादुर सिंह, जिला गन्ना अधिकारी, शामली

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