छह माह तक अभिषेक ने लड़ी बिना छुट्टी कोरोना से जंग

शामली जेएनएन कोरोना काल में अभिषेक का समर्पण भाव से काम करना सभी के लिए प्रेरणादायक है। छह माह तक बिना छुट्टी लिए काम किया और जो भी जिम्मेदारी मिली उसका बेहतर तरीके से निर्वहन किया। महामारी से लड़ते हुए संक्रमित हुए और जान पर भी बन आई थी लेकिन कोरोना को हराने का जज्बा था तो जंग जीत ली।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 10:28 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 10:28 PM (IST)
छह माह तक अभिषेक ने लड़ी बिना छुट्टी कोरोना से जंग
छह माह तक अभिषेक ने लड़ी बिना छुट्टी कोरोना से जंग

शामली, जेएनएन : कोरोना काल में अभिषेक का समर्पण भाव से काम करना सभी के लिए प्रेरणादायक है। छह माह तक बिना छुट्टी लिए काम किया और जो भी जिम्मेदारी मिली, उसका बेहतर तरीके से निर्वहन किया। महामारी से लड़ते हुए संक्रमित हुए और जान पर भी बन आई थी, लेकिन कोरोना को हराने का जज्बा था तो जंग जीत ली।

मुजफ्फरनगर निवासी अभिषेक शर्मा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में लैब तकनीशियन के पद पर तैनात हैं। उनकी ड्यूटी ब्लड स्टोरेज यूनिट में थी, लेकिन कोरोना का केस आने पर उनकी ड्यूटी कोरोना जांच को सैंपल लेने में लगा दी गई। इसके साथ ही वह सैंपल लेकर मेडिकल कालेज मेरठ भी जाते थे। सैंपल लेने के दौरान लोगों को जागरूक करने और बचाव संबंधित जानकारी देने का भी काम किया। मार्च से सितंबर तक कोई साप्ताहिक अवकाश नहीं लिया। निरंतर 15 घंटे से अधिक ड्यूटी की। अपने घर मुजफ्फरनगर भी कई माह तक नहीं जा सके। फ्रंटलाइन पर काम करते हुए वह अक्टूबर में संक्रमित हो गए थे। संक्रमण का प्रहार भी बहुत अधिक था। कई दिन तक तो वह वेंटिलेटर पर रहे। नवंबर में उनका विवाह भी था और विवाह के बाद दिसंबर में वह स्वस्थ होकर ड्यूटी पर लौट आए। अब वह ब्लड स्टोरेज यूनिट में अपनी जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने कोरोना की वैक्सीन भी लगवा ली।

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सभी का बढ़ाते हैं हौसला

अभिषेक के अगर किसी भी परिचित को कोरोना संक्रमण होता है तो वह उनका हौसला बढ़ाते हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हैं। अभिषेक ने बताया कि शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ ही मास्क लगाने व बार-बार हाथ धोने की आदत बनाए हुए हैं।

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कोरोना में ड्यूटी को तैयार

अभिषेक कहते हैं कि फिलहाल कोरोना संबंधित कार्याें में उनकी ड्यूटी नहीं है। अगर अधिकारी कोई भी काम देंगे तो वह उसके लिए हर समय तैयार हैं। बताते हैं कि जब वह कई माह तक घर नहीं गए तो माता-पिता को चिता भी होती थी और वह फोन कर यही कहते थे कि अपना ख्याल रखना।

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