पिता ने दी हिम्मत और बेटियों ने पाई मंजिल

शामली जेएनएन। पिता की पूरी जिदगी की मेहनत उनके बच्चों के कामयाब होने पर सफल होती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:05 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:05 PM (IST)
पिता ने दी हिम्मत और बेटियों ने पाई मंजिल
पिता ने दी हिम्मत और बेटियों ने पाई मंजिल

शामली, जेएनएन। पिता की पूरी जिदगी की मेहनत उनके बच्चों के कामयाब होने पर सफल होती है। बच्चे मेहनत के साथ पढ़कर पिता का नाम रोशन करते हैं। बच्चों की कामयाबी से बढ़कर एक पिता के लिए कोई खुशी नहीं हो सकती। हर बड़े अधिकारी के पीछे उसके पिता का अहम योगदान होता है। पिता डरा-धमकाने के साथ ही हौंसला, जनून और आशीर्वाद देकर बच्चों को कामयाब कर देता है। जिले की डीएम और एसडीएम बनने के पीछे पिता की प्यार वाली डांट और हौंसले का ही कमाल है।

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पिता के साथ अधिकारियों की यादें

बेटी, लड़की का कामयाब होना बहुत जरूरी है..

पिता शब्द में ही मेरी पूरी दुनिया सिमटी हुई है। बचपन में पिता की प्यार वाली डांट आज भी याद है और हमेशा रहेगी। उन्होंने हमेशा मेरी हर इच्छा पूरी की। मैंने जो पढ़ना चाहा, उन्होंने साथ दिया। पिता को देखते हुए मैंने भी आइएएस बनने का प्रयास शुरू किया। पिता हमेशा कहते थे कि बेटी, लड़की का पढ़ना और कामयाब होना बहुत जरूरी है। आर्थिक कामयाबी से ही वह अपना परिवार चला सकती है। उनकी सीख और प्रेरणा का ही परिणाम है कि मैं आज आइएएस बनकर डीएम हूं। पिता से बात करते ही हर बड़ी परेशानी खत्म हो जाती है।

-जसजीत कौर पुत्री परमिदर सिंह, डीएम

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समाज से ऊपर उठकर पिता ने कराई पढ़ाई

उनकी सफल मंजिल के पीछे उनके पिता का अहम योगदान है। मणि बताती हैं कि पढ़ाई के दौरान समाज के लोग पिता को कहते थे कि बेटी है, इसको ज्यादा मत पढ़ाओ, लेकिन मेरे पिता ने हमेशा मुझे बेटे का दर्जा दिया। समाज की सोच से अलग हटकर मेरी पढ़ाई पूरी कराई। आज मैं जो भी हूं, उसका आधार मेरे पिता और मां ही हैं।

-मणि अरोड़ा पुत्री अश्वनी कुमार अरोड़ा, एसडीएम ऊन

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पिता की प्यारी डांट ने बना दिया डिप्टी क्लेक्टर

मैं शुरूआत से पढ़ाई में अपनी बड़ी बहन के मुकाबले ज्यादा बेहतर नहीं थी। मेरी बहन डाक्टर बन गई तो पापा ने कहा, मैडम तुम भी कुछ कर लो। बस तभी से शुरू हुआ मेरी सफल मंजिल का सफर। पापा की इच्छा मुझे भी डाक्टर बनाने की थी, लेकिन मैं पढ़ाई के साथ तैयारी करती रही। पूरे मनोयोग से परीक्षा दी और सफलता मिल गई। पीसीएस अधिकारी बनने के बाद शामली में डिप्टी कलक्टर हूं।

-निकिता पुत्री अनिल शर्मा, डिप्टी कलक्टर

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