पर्चियों की किल्लत गेहूं की फसल पर भारी

किसान की एक परेशानी खत्म नहीं होती और दूसरी शुरू हो जाती है। गन्ने के बकाया भुगतान को लेकर किसान पहले ही परेशानी से जूझ रहे हैं। अब पर्चियों की समस्या बनी है। किसी किसान को कैलेंडर के अनुसार गन्ना पर्ची समय पर नहीं मिल रही है। कोई गलत पर्ची मिलने से हलकान है। गन्ना समितियों में किसान पीड़ा लेकर लगातार पहुंच रहे हैं। दिक्कत यह भी है कि गेहूं बुवाई का वक्त है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 03:47 AM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 03:47 AM (IST)
पर्चियों की किल्लत गेहूं की फसल पर भारी
पर्चियों की किल्लत गेहूं की फसल पर भारी

शामली, जेएनएन। किसान की एक परेशानी खत्म नहीं होती और दूसरी शुरू हो जाती है। गन्ने के बकाया भुगतान को लेकर किसान पहले ही परेशानी से जूझ रहे हैं। अब पर्चियों की समस्या बनी है। किसी किसान को कैलेंडर के अनुसार गन्ना पर्ची समय पर नहीं मिल रही है। कोई गलत पर्ची मिलने से हलकान है। गन्ना समितियों में किसान पीड़ा लेकर लगातार पहुंच रहे हैं। दिक्कत यह भी है कि गेहूं बुवाई का वक्त है। खेत तभी खाली होगा जब गन्ना कटेगा। बुवाई में विलंब से उत्पादन भी प्रभावित होता है।

----

कोल्हुओं में डाल रहे गन्ना

गेहूं की बुवाई में विलंब न हो। इसके लिए किसान कोल्हू में भी गन्ना बेच रहे हैं। पेराई सत्र 2020-21 का गन्ना मूल्य घोषित नहीं हुआ है। गत पेराई सत्र में 310 से 325 रुपये प्रति कुंतल तक का भाव था। कोल्हू पर 220 से 230 रुपये प्रति कुंतल ही मिल रहे हैं।

---

कम होता जाता है उत्पादन

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि गेहूं की अगेती फसल के लिए पांच से 25 नवंबर और पछेती के लिए 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक बुवाई का समय होता है। माना जाता है कि दिसंबर माह में अगर एक दिन गेहूं की बुवाई में देरी होती है तो उत्पादन 25 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ कम होता है। एक एकड़ में छह बीघा होते हैं।

---

बोले किसान..

सामान्य श्रेणी का गन्ना है और पर्ची अगेती श्रेणी की मिल रही है। ऐसे में गन्ना नहीं डाल पा रहे हैं। अब शिकायत को दर्ज करा दी है, लेकिन गेहूं की बुवाई में विलंब हो रहा है।

-प्रमोद कुमार, पुरमाफी गांव शामली चीनी मिल के गेट पर गन्ना डालते हैं। पर्ची का एसएमएस आया तो गन्ना लेकर आ गए। मिल में यह कहते हुए गन्ना नहीं लिया कि पर्ची तो जसाला गांव के क्रय केंद्र की है।

-अशोक सिंह, किरोड़ी गांव

----

इन्होंने कहा..

पर्चियों की समस्या इस बार बहुत अधिक नहीं है। हो सकता है कि बांड में ही रकबा और गन्ने की श्रेणी गलत दर्ज हुई हो। मेले का आयोजन भी किया गया था, जिससे सभी समस्याओं का समाधान हो। हालांकि जो किसान समस्या लेकर आ रहे हैं, उनका समाधान किया जा रहा है।

-विजय बहादुर सिंह, डीसीओ

chat bot
आपका साथी