देखभाल न होने से सरकारी स्कूलों की हालत बदतर

शामली जेएनएन। लापरवाही व उदासीनता के चलते सरकारी स्कूलों की हालत बदतर होती जा रही है। सरकार द्वारा 19 अक्तूबर से स्कूल खोलने व शिक्षकों को नियमित रूप से स्कूल पहुंचने के आदेश परवान नहीं चढ़ पा रहे हैं। गढ़ीपुख्ता स्थित प्राथमिक विद्यालय की दुर्दशा के बावजूद अधिकारियों ने इसे सही करने की कोई सुध नहीं ली है। इसके चलते विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Oct 2020 05:52 PM (IST) Updated:Fri, 16 Oct 2020 05:52 PM (IST)
देखभाल न होने से सरकारी स्कूलों की हालत बदतर
देखभाल न होने से सरकारी स्कूलों की हालत बदतर

शामली, जेएनएन। लापरवाही व उदासीनता के चलते सरकारी स्कूलों की हालत बदतर होती जा रही है। सरकार द्वारा 19 अक्तूबर से स्कूल खोलने व शिक्षकों को नियमित रूप से स्कूल पहुंचने के आदेश परवान नहीं चढ़ पा रहे हैं। गढ़ीपुख्ता स्थित प्राथमिक विद्यालय की दुर्दशा के बावजूद अधिकारियों ने इसे सही करने की कोई सुध नहीं ली है। इसके चलते विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।

केन्द्र व प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों को मार्डन स्कूल बनाने व प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिलाने की कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। अधिकारियों इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। देश में कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ने के बाद सरकार ने सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूलों को बंद रखने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अधिकारियों ने भी सरकारी स्कूल की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। परिणाम स्वरूप सरकारी स्कूलों की उचित देखभाल व रख रखाव न होने से यहां झाड़ियां उग आयी हैं। इसके चलते कई जहरीले जंतुओं ने भी वहां अपना बसेरा बना लिया है। अब कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद सरकार ने 19 अक्तूबर से कक्षा 9 से 12 तक के सभी स्कूल खोलने के निर्देश दि हैं। बच्चों को अभी स्कूल नहीं बुलाया गया है लेकिन शिक्षकों को समय से स्कूल पहुंचकर शिक्षण संबंधी कार्य शुरू करने को कहा गया है। गढ़ीपुख्ता स्थित प्राथमिक विद्यालय नंबर-2 भी इसी दुर्दशा का शिकार है। उचित देखभाल व रखरखाव न होने से स्कूल प्रांगण में बड़ी झाड़ियां उग आयी है। आवारा जानवर स्कूल में घूमते रहते हैं। कई तरह के जहरीले जंतुओं ने भी स्कूल को अपना डेरा बना लिया है। विद्यालय मे 30 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। यहां दो अध्यापक नियुक्त है लेकिन कोरोना काल में स्कूल पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस संबंध में जब एबीएसए संजय डबराल से बात की गयी तो उन्होंने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि विद्यालय की हालत जर्जर है। इसी कारण बच्चों को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है। विद्यालय में साफ सफाई या मरम्मत के संबंध में उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

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