कनेक्टिविटी न होने से डेढ़ साल तक कैशियर की जेब में जमा रही रकम

शामली के जलालाबाद में डेढ़ साल से अधिक समय तक ग्राहक की कैशियर ने खाते में रकम जमा नहीं की। ग्राहक जमा रकम की रसीद लेने के बाद अपनी रकम को पाने के लिए बैंक के चक्कर काटता रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 11:27 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 11:27 PM (IST)
कनेक्टिविटी न होने से डेढ़ साल तक कैशियर की जेब में जमा रही रकम
कनेक्टिविटी न होने से डेढ़ साल तक कैशियर की जेब में जमा रही रकम

शामली, जागरण टीम। शामली के जलालाबाद में डेढ़ साल से अधिक समय तक ग्राहक की कैशियर ने खाते में रकम जमा नहीं की। ग्राहक जमा रकम की रसीद लेने के बाद अपनी रकम को पाने के लिए बैंक के चक्कर काटता रहा। प्रार्थना पत्र देने के बाद कार्रवाई नहीं की गई थी। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद बैंक प्रबंधन ने समझौता पत्र लिखवा कर ग्राहक को नकद रकम दी है।

कस्बे के मोती बाजार मे मेडिकल स्टोर संचालक रविकांत शर्मा ने तीन दिसंबर 2019 में स्टेट बैंक शाखा में 10 हजार की रकम जमा कराई थी। जमा रकम की कैशियर दीपक कुमार ने रसीद प्रदान की थी। काफी समय तक जमा रकम खाते में न आने पर खाताधारक को जानकारी दी गई कि जल्द रकम खाते में आ जाएगी। परंतु रकम खाते में जमा न होने पर खाताधारक ने निवर्तमान प्रबंधक निरंजन कुमार को प्रार्थना पत्र दिया था।

बैंक प्रबंधक व कैशियर ने खाताधारक पर रकम जमा न करा रसीद प्राप्त कर लेने का आरोप लगाते हुए मुकदमा करने की धमकी दी थी। खाताधारक अपनी रकम पाने के लिए डेढ़ साल से अधिक समय तक बैंक के चक्कर काटता रहा। पांच जुलाई को प्रबंधक विष हरिचंद्र को प्रार्थना पत्र दिया था। मात्र आश्वासन दिया कि एक अगस्त में कैशियर की सैलरी मिलने पर रकम जमा करा दी जाएगी।

गत शनिवार के अंक में दैनिक जागरण में जमा कराई रकम खाते में नहीं शीर्षक से खबर प्रकाशित की गई। खबर के असर पर बैंक प्रबंधन ने, मोबाइल काल कर खाताधारक को बैंक में बुलवाकर समझौता पत्र लिखवाकर 10 हजार की रकम नकद दी। समझौता पत्र में लिखा गया कि डेढ़ साल से अधिक समय तक कनेक्टिविटी न होने से रकम जमा नहीं की जा सकी थी। खाताधारकों ने मांग की है कि कैशियर के खिलाफ उच्च अधिकारियों को कार्रवाई करनी चाहिए।

बोला खाताधारक दैनिक जागरण ने दिलाया इंसाफ

खाताधारक रविकांत शर्मा ने बताया कि डेढ़ साल से अधिक समय से अपनी जमा रकम को पाने के लिए बैंक के चक्कर काटकर थक चुका था। दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद उसे अपनी गाढ़ी कमाई की जमा रकम वापस मिली है।

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