यह है जलालाबाद देहात में भ्रष्टाचार का तालाब
जलालाबाद देहात क्षेत्र में तालाब खोदाई के नाम पर फर्जीवाड़ा कर अफसर लाखों रुपये हड़प गए। मामला तब उजागर हुआ जब अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए ग्राम पंचायत पर फर्जी रिकवरी आदेश निकाल दिया। अफसरों की इस कारगुजारी को लेकर ग्राम पंचायत हाईकोर्ट गई। अब सारे अधिकारियों ने मामले पर चुप्पी साध रखी है।
शामली, जागरण टीम। जलालाबाद देहात क्षेत्र में तालाब खोदाई के नाम पर फर्जीवाड़ा कर अफसर लाखों रुपये हड़प गए। मामला तब उजागर हुआ, जब अफसरों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए ग्राम पंचायत पर फर्जी रिकवरी आदेश निकाल दिया। अफसरों की इस कारगुजारी को लेकर ग्राम पंचायत हाईकोर्ट गई। अब सारे अधिकारियों ने मामले पर चुप्पी साध रखी है।
वर्ष 2018 में थानाभवन ब्लाक के गांव जलालाबाद देहात में पशुचर की भूमि पर तालाब बना दिया गया। मनरेगा से इस योजना पर 5.7 लाख रुपये का खर्च दिखाया। ग्रामीणों का कहना था कि उस समय जेसीबी से थोड़ी मिट्टी हटाकर तालाब की खोदाई दर्शाई गई और लाखों रुपये का गबन कर लिया गया। ग्राम पंचायत जलालाबाद देहात ने इस काम पर आपत्ति जताई, लेकिन ब्लाक के अधिकारी मनमानी पर उतारू रहे और काम पूर्ण दर्शाकर पैसे निकाल लिए। ग्राम पंचायत ने इस पर आपत्ति जताई तो मामले की जांच हुई। जांच में पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया। जिलाधिकारी ने इस तालाब पर खर्च हुई राशि की रिकवरी के भी आदेश कर दिए। इसमें ग्राम पंचायत के खिलाफ 32,995 रुपये की रिकवरी जारी कर दी। ग्राम पंचायत ने इस रिकवरी पर आपत्ति जताई, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। इसके बाद ग्राम पंचायत हाईकोर्ट गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने अफसरों को फटकार लगाई तथा छह सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा। यही नहीं कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के जवाब दाखिल करने के बाद ग्राम पंचायत अपना अंतिम जवाब दाखिल करे। कोर्ट ने ग्राम पंचायत से रिकवरी के आदेश पर भी स्थगन आदेश दे दिया। जब शेष आरोपितों से रिकवरी की बात आई तो अफसरों ने खामोशी साध ली। अब अफसर इस मामले पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। क्षेत्र पंचायत के खाते से जबरन खर्च की राशि
नियमानुसार जब भी ग्राम पंचायत मनरेगा से कोई काम कराती है तो उसका प्रस्ताव ग्राम पंचायत बनाती है। काम पर खर्च होने वाली धनराशि ग्राम पंचायत के खाते में दर्ज होती है। इस तालाब के मामले में ब्लाक के अधिकारियों ने घालमेल किया और क्षेत्र पंचायत के खाते से यह धनराशि खर्च की गई। ब्लाक के अफसरों ने इस काम की ग्राम पंचायत को भनक ही नहीं लगने दी। जब घालमेल पकड़ में आया तो रिकवरी का फंदा गांव पंचायत के खाते में डाल दिया। ग्राम पंचायत का कहना है कि ब्लाक के अधिकारियों को बचाने के लिए जिला के आला अफसरों ने जानबूझकर खामोशी साध रखी है। इनका कहना है
इस मामले में अभी रिकवरी नहीं हो पाई है। ग्राम पंचायत को तो कोर्ट से स्टे मिल गया है। शेष आरोपितों से भी रिकवरी की प्रक्रिया फिलहाल बंद है।
-पंकज कुमार, बीडीओ