सीएचसी में मरीजों की भीड़ गाइडलाइन का पालन नहीं
सीएचसी में मरीजों की भीड़ रही। कोविड का एक केस दो दिन पहले मिल भी चुका है। इसके बावजूद कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है।
शामली, जेएनएन। सीएचसी में मरीजों की भीड़ रही। कोविड का एक केस दो दिन पहले मिल भी चुका है, लेकिन गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। सीएचसी प्रशासन का दावा है कि मरीजों और तीमारदारों से अपील की जा रही है।
सीएचसी में रोजाना औसतन एक हजार मरीज आते हैं। रविवार को अवकाश था और ऐसे में सोमवार को सुबह से ही मरीजों की भीड़ रही। चिकित्सकों के कक्ष के बाहर, ओपीडी पर्ची केंद्र, दवा वितरण कक्ष के बाहर कतार लगी रही। पहले तो सीएचसी आने वाले सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिग होती थी, लेकिन कई माह से बंद है। अब तो अधिकांश रोगी बिना मास्क लगाए आते हैं। साथ ही शारीरिक दूरी का कहीं कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
चिकित्सा अधीक्षक डा. रामनिवास ने बताया कि सोमवार को थोड़ी भीड़ रहती है। दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए बोर्ड भी बैठा था, जिसके चलते भी सीएचसी में भीड़ रही। मरीजों और उनके साथ आए लोगों से अपील की जा रही है कि कोविड गाइडलाइन का पालन करें। हालांकि अब बुखार के मरीज बहुत अधिक नहीं आ रहे हैं। लेकिन जो भी आ रहे हैं, उनकी कोरोना जांच कराई जा रही है।
फार्मासिस्टों का आंदोलन जारी काली पट्टी बांध की ड्यूटी
जागरण संवाददाता, शामली: डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर 20 सूत्रीय मांगों को लेकर फार्मासिस्ट आंदोलनरत हैं। मांगें पूरी नहीं किए जाने के विरोध में काली पट्टी बांधकर काम किया। कहा कि चरणबद्ध आंदोलन लगातार तेज होगा।
एसोसिएशन की प्रमुख मांग है कि दवाओं का नुस्खा लिखने की स्वीकृति मिले, पदनाम फार्मेसी अधिकारी किया जाए, प्रभार भत्ता बढ़े और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता में डिप्लोमा फार्मेसी भी हो। एसोसिएशन के जिला सचिव संजीव शर्मा ने कहा कि आठ दिसंबर तक काली पट्टी बांधकर ही काम किया जाएगा। लेकिन नौ दिसंबर से दो-दो घंटे का कार्यबहिष्कार शुरू होगा, जो 16 दिसंबर तक चलेगा। इसके बाद 17 से 19 दिसंबर तक पूर्ण कार्यबहिष्कार रहेगा। लेकिन 19 दिसंबर तक आकस्मिक सेवा में ड्यूटी करते रहेंगे। 20 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी और आकस्मिक सेवा भी शामिल रहेंगी। फार्मासिस्ट शांतिपूर्वक तरीके से अपने हक की मांग कर रहे हैं। लेकिन लगातार उपेक्षा हो रही है।