कोरोना योद्धा ने शुरू किया मिशन हरियाली

कोरोना योद्धा चिकित्सक डा. विजेंद्र ने मिशन हरियाली शुरू किया है। भनेड़ा जट पीएचसी और गांव में 300 पौधे लगा दिए हैं। जिले में पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 10:56 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 10:56 PM (IST)
कोरोना योद्धा ने शुरू किया मिशन हरियाली
कोरोना योद्धा ने शुरू किया मिशन हरियाली

शामली, जागरण टीम। कोरोना योद्धा चिकित्सक डा. विजेंद्र ने मिशन हरियाली शुरू किया है। भनेड़ा जट पीएचसी और गांव में 300 पौधे लगा दिए हैं। जिले में पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।

सीएचसी शामली में चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात रहते हुए डा. विजेंद्र ने कोरोना संक्रमण के पहले मरीज का उपचार किया था। इसके बाद भी कोरोना संबंधित ड्यूटी करते रहे हैं। गत वर्ष लाकडाउन में प्रवासी मजदूरों की भी मदद की थी और उन्हें भोजन, पानी का वितरण किया था। अब वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) भनेड़ा जट के प्रभारी हैं।

मरीजों के उपचार के साथ ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए मिशन तय किया है। अपने खर्च पर जामुन, आम, अमरूद, पिलखन, पीपल व नीम आदि के 300 पौधे लगा दिए हैं। पौधे लगाने का खर्च भी वह स्वयं वहन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह करीब 15 साल से हर वर्ष घर के आसपास कुछ पौधे जरूर लगाते आ रहे हैं और उनकी देखभाल भी करते हैं। भनेड़ा पीएचसी परिसर में लगे पौधों की देखभाल और स्टाफ के सदस्य करेंगे। गांव में भी पौधे लगाए हैं और कुछ ग्रामीणों को देखरेख का संकल्प भी दिलाया है।

अगस्त माह तक पांच हजार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। पर्यावरण की सेहत खराब हो रही है और उसका असर हमारी सेहत पर भी पड़ रहा है। पेड़-पौधे हानिकारक गैस को अवशोषित करते हैं और आक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे हमें शुद्ध एवं ताजी हवा मिलती है। पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी को निभानी पड़ेगी। हरियाली अधिक से अधिक होगी तो हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। कोरोनाकाल में पता नहीं कितने लोगों की जिदगी आक्सीजन न मिलने के कारण चली गई। कोरोना ने हमें आक्सीजन के महत्व से रूबरू कराया है। हमें हर खास मौके पर कम से कम एक पौधा लगाना चाहिए और उसका पूरा ध्यान रखना चाहिए।

अगर किसी कारण से कोई पेड़ काटना पड़ता है तो उसके स्थान पर कम से कम पांच पौधे लगाए जाने चाहिएं। उनका मिशन हरियाली अब चलता ही रहेगा।

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