50 फीसद से अधिक बेडों पर अब सेंट्रल आक्सीजन आपूर्ति

कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आई तो उससे निपटने की तैयारियां चल रही हैं। कोविड लेवल-2 चिकित्सालय में आक्सीजन की सेंट्रल आपूर्ति के बेड की संख्या बढ़ा दी गई है। अब 50 फीसद से अधिक बेड पर आक्सीजन प्लांट से आपूर्ति होगी। शेष पर सिलेंडरों से व्यवस्था रहेगी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 11:04 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 11:04 PM (IST)
50 फीसद से अधिक बेडों पर  अब सेंट्रल आक्सीजन आपूर्ति
50 फीसद से अधिक बेडों पर अब सेंट्रल आक्सीजन आपूर्ति

शामली, जागरण टीम। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आई तो उससे निपटने की तैयारियां चल रही हैं। कोविड लेवल-2 चिकित्सालय में आक्सीजन की सेंट्रल आपूर्ति के बेड की संख्या बढ़ा दी गई है। अब 50 फीसद से अधिक बेड पर आक्सीजन प्लांट से आपूर्ति होगी। शेष पर सिलेंडरों से व्यवस्था रहेगी।

पिछले साल मार्च में कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ था। तब सिर्फ सीएचसी शामली में आइसोलेशन वार्ड बना था। बाद में सीएचसी झिझाना को कोविड लेवल-1 चिकित्सालय बनाया गया था। संक्रमित को जरा भी दिक्कत होती थी तो मेडिकल कालेज मेरठ रेफर किया जाता था। सितंबर माह में जिला संयुक्त अस्पताल में 100 बेड का कोविड लेवल-2 चिकित्सालय तैयार किया था, जिसका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ से लोकार्पण किया था।

कोरोना की दूसरी लहर में बेड की संख्या 200 की गई थी और मई माह में सौ से अधिक मरीज भी एक साथ भर्ती रहे थे। सेंट्रल आक्सीजन आपूर्ति के बेड की संख्या 75 थी। जिला अस्पताल में प्लांट 45-45 लीटर प्रति मिनट उत्पादन क्षमता के दो आक्सीजन प्लांट लग चुके हैं। एक हजार लीटर प्रति मिनट का प्लांट तैयार हो जाएगा। उक्त प्लांटों से आक्सीजन की सेंट्रल आपूर्ति होनी है। ऐसे में अब 105 बेड पर यह व्यवस्था कर दी गई थी। पूर्व में सिलेंडरों के माध्यम से ही सेंट्रल आपूर्ति होती थी। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. सफल कुमार ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए पूरी तैयारी की जा रही है। चिकित्सालय में आक्सीजन के 76 जंबो सिलेंडर, 141 छोटे सिलेंडर और 71 आक्सीजन कंसंट्रेटर भी हैं। 105 बेड पर सीधे प्लांट से आक्सीजन आएगी और अन्य बेड पर सिलेंडरों से आपूर्ति होगी।

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आक्सीजन आपूर्ति को करने पड़ी थी मशक्कत

कोविड चिकित्सालय में अप्रैल और मई माह में काफी मरीज भर्ती रहे थे और मांग के सापेक्ष आक्सीजन आपूर्ति करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। जिले में आक्सीजन उत्पादन का कोई प्लांट नहीं था। ऐसे में रुड़की, मोदीनगर, हरिद्वार से आक्सीजन की आपूर्ति हुई थी।

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