उत्पादन में वृद्धि, भुगतान समय पर होने से हुई गेहूं की बंपर खरीद

जिले में गेहूं की रिकार्ड खरीद हुई है। प्रमुख कारण उत्पादन में वृद्धि भुगतान समय से मिलना और हरियाणा में गेहूं बेचने में परेशानी होना है। सरकार ने खरीद की तिथि 22 जून तक बढ़ा दी है और किसान केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। हालांकि अब खरीद काफी कम हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 10:36 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 10:36 PM (IST)
उत्पादन में वृद्धि, भुगतान समय पर होने से हुई गेहूं की बंपर खरीद
उत्पादन में वृद्धि, भुगतान समय पर होने से हुई गेहूं की बंपर खरीद

शामली, जागरण टीम। जिले में गेहूं की रिकार्ड खरीद हुई है। प्रमुख कारण उत्पादन में वृद्धि, भुगतान समय से मिलना और हरियाणा में गेहूं बेचने में परेशानी होना है। सरकार ने खरीद की तिथि 22 जून तक बढ़ा दी है और किसान केंद्रों पर पहुंच रहे हैं। हालांकि, अब खरीद काफी कम हो गई है।

जिले के काफी किसान सालों से हरियाणा की मंडियों में गेहूं-धान बेचते रहे हैं। क्योंकि आढ़तियों से जरूरत के अनुसार एडवांस धनराशि मिलती है और गेहूं-धान बेचने पर धनराशि समायोजित हो जाती है। इस बार दिक्कत यह रही कि हरियाणा में लोकल किसानों से खरीद की गई। यहां के किसानों को कई बार बार्डर पर पुलिस ने रोका था। पहले सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने पर कई सप्ताह बाद भुगतान मिलता था, लेकिन अब 48 से 72 घंटे के भीतर भुगतान किसान के खाते में आया। पिछले साल के मुकाबले गेहूं का रकबा तो बहुत अधिक नहीं बढ़ा, लेकिन उत्पादन बढ़ा है। पिछले साल रकबा 48924 हेक्टेयर था और इस बार 48973 हेक्टेयर रहा। जिला विपणन अधिकारी निहारिका सिंह ने बताया कि पिछले साल उत्पादन करीब 42 कुंतल प्रतिहेक्टेयर था। इस बार मौसम फसल के अनुकूल रहा तो उत्पादन करीब 47 कुंतल प्रतिहेक्टेयर रहा है। पिछले सालों के मुकाबले गेहूं में नमी अधिक होने और दानों के काले पड़ने की समस्या काफी कम आई। 9146 किसानों से 27469.65 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो चुकी है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब दस हजार मीट्रिक टन अधिक है।

----कहीं बिचौलियों ने तो नहीं उठाया फायदा

गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रतिकुंतल है। काफी किसानों के सामने दिक्कत यह रही कि टोकन देर से मिला और टोकन की तिथि के काफी दिन बाद भी खरीद नहीं हुई। किसानों को धनराशि की जरूरत थी तो बिचौलियों ने फायदा उठाया और कम दाम पर खरीद की। ऐसे में हो सकता है कि मुनाफा कमाने के लिए बिचौलियों ने संबंधित किसान के नाम पर पंजीकरण कराते हुए सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचा हो। यह शक प्रशासन को भी हुआ था और ऐसे में बिचौलियों पर अंकुश लगाने के लिए व्यवस्था भी लागू की थी। जिला विपणन अधिकारी निहारिका सिंह ने बताया कि बिचौलियों पर अंकुश लगाने के लिए व्यवस्था की गई थी कि केंद्रों पर किसान या नामित परिवार का सदस्य ही गेहूं बेच सकेगा। अगर कोई बिचौलिया आएगा तो कार्रवाई करते हुए एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। किसानों से एक पत्र पर लिखवाया भी जा रहा है कि कितने क्षेत्रफल में गेहूं, गन्ना व अन्य फसल हैं। अगर किसी पर शक भी हुआ तो उससे खरीद नहीं की है। हालांकि कोई बिचौलिया पकड़ा नहीं गया है।

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