सावधान..कहीं स्मॉग न तोड़ दे सांसों की डोर

शामलीजेएनएन। धीरे-धीरे ठंड बढ़ने के साथ ही स्मॉग का कहर भी बढ़ने लगा है। प्रदूषण व धुआं फैलने से स्मॉग आसमान में सफेद चादरनुमा हो जाता है। स्मॉग आंखों में जलन के साथ ही सांस लेने में तकलीफ पैदा करता है। धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रहा स्मॉग जानलेवा भी बन सकता है। सर्वाधिक दिक्कतें सांस के मरीजों को होती है। कोरोना के बीच बढ़ने वाले स्मॉग से स्थिति खराब भी हो सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 11:27 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:01 AM (IST)
सावधान..कहीं स्मॉग न तोड़ दे सांसों की डोर
सावधान..कहीं स्मॉग न तोड़ दे सांसों की डोर

शामली,जेएनएन। धीरे-धीरे ठंड बढ़ने के साथ ही स्मॉग का कहर भी बढ़ने लगा है। प्रदूषण व धुआं फैलने से स्मॉग आसमान में सफेद चादरनुमा हो जाता है। स्मॉग आंखों में जलन के साथ ही सांस लेने में तकलीफ पैदा करता है। धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रहा स्मॉग जानलेवा भी बन सकता है। सर्वाधिक दिक्कतें सांस के मरीजों को होती है। कोरोना के बीच बढ़ने वाले स्मॉग से स्थिति खराब भी हो सकती है। सर्दी शुरू आते ही स्मॉग का असर शुरू हो जाता है। इन दिनों फिर से स्मॉग धीरे धीरे रफ्तार पकड़ने लगा है। पिछले 15 दिनों से ही शाम में स्मॉग शहर को अपने आगोश में लेना शुरू कर दे रहा है। शहर तक सुबह स्मॉग की चादर ओढ़ चुका होता है। स्मॉग बढ़ते ही सड़क पर ²श्यता भी कम हो जाती है। इससे दुर्घटनाएं होती रहती है। वहीं अस्पतालों में आंखों में जलन, सांस, एलर्जी के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगती है। बुधवार को भी स्मॉग की चादर छाई रही। कुछ लोग इसे कोहरा मानकर चल रहे थे, जबकि डाक्टरों के अनुसार यह कोहरा नहीं बल्कि स्मॉग है। इसमें शहरी प्रदूषण के पार्टिकल्स शामिल हैं, जो आंखों में जलन व सांसों में घुटन महसूस करा रहे हैं।

धीरे-धीरे मरीजों की संख्या में हो रहा इजाफा

जिला अस्पताल से लेकर अन्य निजी अस्पतालों में सांस, दमा व अस्थमा रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। इसके अलावा आंखों में जलन, खुजली व एलर्जी महसूस करने वाले मरीज भी सामने आ रहे है।कुछ मरीज आंखों में सूजन की शिकायत भी लेकर अस्पताल पहुंचे। वहीं कुछ मरीज सिर दर्द, सिर में चक्कर, तनाव इत्यादि की समस्या के कारण भी अस्पताल पहुंच रहे है। सामान्य दिनों की अपेक्षा स्मॉग के चलते पिछले 15 दिनों से पहले के मुकाबले 15 से 20 मरीज अधिक हो रहे है। स्मॉग से प्रदूषण के पार्टिकल्स श्वांस नली के जरिये सीधे फेफड़ों में पहुंचकर विभिन्न तरह के संक्रमण पैदा कर रहे हैं। यही प्रदूषण के पार्टिकल्स आंखों में जलन, खुजली व एलर्जी भी पैदा करने की वजह बन रहे हैं। ---- प्रदूषण कम होने पर घटेगा स्मॉग

सहायक वैज्ञानिक प्रदूषण डीसी पांडेय बताते है कि प्रदूषण के कण समाहित हैं। स्मॉग तापमान की गिरावट व नमी के साथ बढता है। धूप निकलने पर यह हट जाता है। प्रदूषण कम होगा तभी स्मॉग हटेगा। अन्यथा यह स्थिति आगे दिनों तक बनी रह सकती है। फिलहाल शामली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 210 दर्ज रिकार्ड किया गया है। ------ नमी के साथ बढ़ता है स्मॉग, सेहत के लिए नुकसान: डाक्टर रोहतक पीजीआइ में सेवाएं दे रहे जिले के कैराना निवासी फिजिशियन डा. गुरमीत सैनी के अनुसार स्मॉग में कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाईआक्साइड, लेड, मर्करी व अन्य पार्टिकल्स नमी के साथ मिलकर स्मॉग बनाते हैं। यह सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक हैं। इससे आंख में संक्रमण, आक्सीजन की कमी, सूजन, खुजली इत्यादि की समस्या होगी। इसी प्रकार जब यह सांस नली में समाहित होकर फेफड़ों में पहुंचते हैं तो यह ब्लड में आक्सीजन की कमी पैदा कर देते हैं। इससे रक्त प्रवाह की गति मंद हो जाती है। यह हृदय व दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए एहतितात बरतने की जरूरत है। ऐसे मौसम में बच्चों व गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ---------- ये बरते सावधानी सावधानी:

फिजिशियन गुरमीत सैनी के मुताबिक, स्मॉग से बचाव के लिए सावधानी जरूरी है, कोविड के प्रकोप के बीच अधिक सावधानी होनी चाहिए। - ऐसे मौसम में बाहर निकलने से परहेज करें। - साइकिलिग, जॉगिग व खेलकूद की सक्रियता भी स्मॉग रहने तक ठीक नहीं है।

- यदि बाहर निकलना जरूरी है तो मुंह पर एन-95 मास्क लगाएं। - हर्बल अदरक व तुलसी की चाय पिएं व गर्म पानी का प्रयोग करें। - मौसमी व ताजे फलों का सेवन करें। - बच्चों व गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर बिना जरूरत के निकलने से बचे।

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