ओम नम: शिवाय

बाबा बनखंडी महादेव मंदिर कस्बा कैराना में देवी मंदिर तालाब के निकट स्थित है। बाबा बनखंडी महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। दूर-दराज से भी वर्षभर श्रद्धालु यहां आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 11:37 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 11:37 PM (IST)
ओम नम: शिवाय
ओम नम: शिवाय

शामली, जागरण टीम। बाबा बनखंडी महादेव मंदिर कस्बा कैराना में देवी मंदिर तालाब के निकट स्थित है। बाबा बनखंडी महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। दूर-दराज से भी वर्षभर श्रद्धालु यहां आते हैं। श्रावण मास में तो हर दिन भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर इतिहास बाबा बनखंडी महादेव मंदिर सिद्धपीठ है। काफी समय पूर्व में यहां खाली मैदान पड़ा हुआ था, जिसमें पशु चरते थे। गाय चरते समय प्रतिदिन एक स्थान पर अपना दूध चढ़ाकर निकलती थी। लोगों में जिज्ञासा हुई कि आखिर इसका क्या रहस्य है? खोदाई कराई गई तो वहां शिवलिग निकला। तब श्रद्धालुओं ने यहां पर विशाल मंदिर की स्थापना कराई। मंदिर की विशेषता

प्रतिवर्ष सावन माह में मंदिर में शिवरात्रि के पावन पर्व पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। जागरण कराया जाता है। प्रतिदिन सुबह-शाम महाआरती की जाती है। मान्यता है कि सच्चे मन से शिवलिग का जलाभिषेक करने वालों के संकट दूर होते हैं और मनोकामना पूर्ण होती है। प्रतिदिन शिवभक्त बेल पत्र, फल-फूल और दूध व चंदन के साथ शिवलिग पर माथा टेकते हैं। यहां हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। शिवालय प्राचीन और आस्था का पमुख केंद्र है। शिवरात्रि पर तो श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है।

- पंडित पीतांबर शर्मा, पुजारी बाबा बनखंडी महादेव की जो भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती। मंदिर में जाने से मन को शांति मिलती है। मैं पिछले काफी सालों से प्रतिदिन आता हूं और जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना करता हूं।

- वरुण सिघल, श्रद्धालु

कैराना में कांवड़ियों का हुआ आगमन

संवाद सूत्र, कैराना : नगर में बम भोले के जयकारों के साथ शिवभक्त कांवड़ियों का आगमन शुरू हो गया है। कांवड़ियों ने बताया कि वह हरिद्वार से गंगाजल लेकर गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं।

सरकार ने कोरोना महामारी को लेकर कांवड़ यात्रा पर रोक लगाई है, लेकिन शिवभक्त कांवड़ियों के आस्था की कदम रुक नहीं पाए हैं। गुरुवार को नगर में शिवभक्त कांवड़ियों का आगमन हुआ। कांवड़ियों के एक ही परिवार के लोग थे, जिनमें महिला अपने साथ में बच्चे को भी ले रही थी। कांवड़िए ऋषि ने बताया कि वह हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर आए हैं। किसी ने उन्हें रोका नहीं है। कांवड़िए ने बताया कि उन्हें रोहतक जाना है। बाद में कांवड़िए बम भोले के उद्घोष के साथ गंतव्य के लिए प्रस्थान कर गए।

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