बारिश होने से शरदकालीन गन्ना बुवाई प्रभावित
शरदकालीन गन्ना बुवाई करने पर सर्वाेत्तम उत्पादन मिलता है। ऐसे में किसानों का रुझान भी बढ़ रहा है लेकिन बीच-बीच में हो रही बारिश गन्ना की बुआई को प्रभावित कर रही है।
शामली, जेएनएन। शरदकालीन गन्ना बुवाई करने पर सर्वाेत्तम उत्पादन मिलता है। ऐसे में किसानों का रुझान भी बढ़ रहा है, लेकिन बारिश से बुवाई प्रभावित हो रही है। बुवाई में अगर अधिक विलंब होता है तो उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर प्रभाव पड़ता है।
जिले में गन्ने का क्षेत्रफल करीब 80 हजार हेक्टेयर है, जिसमें आठ से दस फीसद क्षेत्रफल शरदकालीन गन्ना बुवाई का है। पांच सितंबर से शरदकालीन गन्ने की बुवाई शुरू होती है, लेकिन सितंबर माह में काफी बारिश होने के कारण बुवाई में दिक्कत आ रही है। किसान खेत तैयार नहीं कर पा रहे हैं। खेत तैयार करने पर बारिश होती है तो किसानों पर दोहरी मार पड़ती है। ऐसे में किसान चारे व धान की अगेती फसल की कटाई के बाद बुवाई करते हैं। बारिश के चलते धान की कटाई भी प्रभावित हो रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र शामली के वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि शरदकालीन गन्ना की यदि 15 अक्टूबर तक बुवाई नहीं हो पाती है तो किसान गन्ना बुआई को छोड़ देते हैं। ऐसे में गेहूं की बुवाई की जाती है और फिर वे गेहूं कटाई के बाद गन्ना बोते हैं। शरदकालीन गन्ने की फसल से सर्वोत्तम उत्पादन मिलता है।
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पौध तैयार करना
बेहतर विकल्प
कृषि वैज्ञानिक डा. विकास मलिक ने बताया कि बारिश के प्रभाव से बचने का एक बेहतर विकल्प पौध तैयार करना है। मौसम सामान्य होने पर पौध को लगा सकते हैं। ट्रे में भी पौध लगा सकते हैं। वह 15 से 20 दिन में तैयार हो जाती है। विभिन्न माध्यमों से किसानों को जागरूक और प्रेरित भी किया जा रहा है। प्रशिक्षण भी दिया गया है। कुछ किसानों ने पौध लगाई भी है, लेकिन अधिकांश किसान सीधे बुवाई करते हैं। अगले माह से सरसों
की बुवाई होगी शुरू
डा. विकास मलिक ने बताया कि सरसों की बुवाई भी अगले माह से शुरू हो जाएगी। काफी किसान गन्ने में सहफसली के रूप में सरसों की बुवाई करते हैं। अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से नवंबर तक सरसों की बुवाई होती है। गेहूं की बुवाई का समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक माना जाता है।