टिड्डी दल के एनसीआर के निकट पहुंचने की सूचना से जिले में अलर्ट

टिड्डी दल के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमा के निकट पहुंचने की सूचना से जिले में भी अलर्ट है। जिलाधिकारी के निर्देश पर कृषि के साथ ही विभिन्न विभागों के कार्मिक निगरानी कर रहे हैं और किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। किसान भी खेतों में निगरानी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 10:31 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 10:31 PM (IST)
टिड्डी दल के एनसीआर के निकट पहुंचने की सूचना से जिले में अलर्ट
टिड्डी दल के एनसीआर के निकट पहुंचने की सूचना से जिले में अलर्ट

शामली, जेएनएन। टिड्डी दल के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमा के निकट पहुंचने की सूचना से जिले में भी अलर्ट है। जिलाधिकारी के निर्देश पर कृषि के साथ ही विभिन्न विभागों के कार्मिक निगरानी कर रहे हैं और किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। किसान भी खेतों में निगरानी कर रहे हैं।

टिड्डी दल के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमा के निकट पहुंचने की सूचना मिल रही है। ऐसे में जिला प्रशासन और कृषि विभाग भी अलर्ट हो गया है। रविवार को ही जिलाधिकारी ने विभिन्न विभागों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे। आपदा राहत दल का गठन भी किया गया है। दल के अध्यक्ष मुख्य विकास अधिकारी, सदस्य उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी और सदस्य एवं सचिव जिला कृषि रक्षा अधिकारी बनाए हैं। ग्राम पंचायत अधिकारियों, ग्राम विकास अधिकारियों, कृषि विभाग के प्राविधिक सहायकों और ग्रामीण क्षेत्र के सफाई कर्मियों के माध्यम से निगरानी करने के लिए कहा गया है। हालांकि अभी तक जिले में टिड्डी कीट नहीं है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विकास कुमार ने बताया कि कीटनाशक की पर्याप्त उपलब्धता है। किसी भी परिस्थिति से निपटने की तैयारी है। कभी जिले या आसपास के क्षेत्र में टिड्डी दल का प्रकोप नहीं रहा है। अगर टिड्डी दल की दस्तक होती है तो केंद्र से भी टीम आती है। झांसी में भी टीम पहुंची थी। वहीं, जिलाधिकारी जसजीत कौर ने बताया कि नगर निकायों को पानी के टैंकर भरकर तैयार रखने के लिए कहा है, जिससे जरूरत पड़ने पर तत्काल प्रयोग किया जा सके। अग्निशमन विभाग को भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सभी फसलों को नुकसान

कृषि विज्ञान केंद्र शामली के कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास मलिक ने बताया कि टिड्डी दल सभी प्रकार की फसलों, पेड़-पौधों की पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है। सामान्यत: झुंड में रहने वाली मादा टिड्डी 200 से 250 अंडे देती है। अंडों को सात से दस दिन के अंतराल पर दस से 15 सेंटीमीटर गहराई में रेतेली मिट्टी में रखा जाता है। अंडों का विकास तापमान और मिट्टी की नमी पर निर्भर करता है। आमतौर पर दो सप्ताह की अवधि होती है। अगर तापमान 15 डिग्री से कम होता है तो अंडों का विकास नहीं होता है। इसीलिए किसानों को सलाह है कि रेतेली मिट्टी के क्षेत्र में पानी भर दें या जुताई कर दें। टिड्डी दल एक दिन में तय कर सकता है 200 किमी दूरी

कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास मलिक ने बताया कि टिड्डी दल सुबह सात से आठ बजे के बीच उड़ान भरते हैं और शाम को छह से सात बजे तक उड़ान जारी रहती है। अनुकूल परिस्थिति (जैसे हवा की गति और दिशा) में एक दिन में 150 से 200 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं। वह बताते हैं कि अकेले रहने वाला टिड्डी कीट रात में कुछ समय के लिए ही उड़ान भर सकता है, लेकिन झुड़ में रहने वाले टिड्डी दिन में ही उड़ान भरते हैं। रात में जहां पर टिड्डी दल रुकता है, वहां पर सर्वाधिक प्रकोप होता है। बोले किसान

किसान पहले से ही विभिन्न कारणों से परेशान है और अब टिड्ढी दल के आने की आशंका से बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी। किसान फसलों की निगरानी कर रहे हैं।

- महक सिंह उर्फ बबलू किसान बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए तो निगरानी करते ही हैं। इसी तरह अब टिड्डी की निगरानी भी कर रहे हैं। दवा का प्रबंध तो तभी करेंगे, जब प्रकोप का पता चलेगा।

- रामहेर पंवार

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