जिले में तिगुने हो गए हैं एचआईवी संक्रमित
एचआइवी की जिले पर काली नजर है। छह साल में ही संक्रमितों की संख्या तीन गुना से ज्यादा हो गई है। हालांकि इस साल कोरोना के चलते जांच भी प्रभावित हुई है।
शामली, जेएनएन। एचआइवी की जिले पर काली नजर है। छह साल में ही संक्रमितों की संख्या तीन गुना से ज्यादा हो गई है। हालांकि इस साल कोरोना के चलते जांच भी प्रभावित हुई है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है। जिले में संक्रमित होने का प्रमुख कारण असुरक्षित यौन संबंध बनाना है।
फिजिशियन डा. पंकज गर्ग ने बताया कि असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित का खून किसी को चढ़ना, संक्रमित के इस्तेमाल की गई सिरिज के प्रयोग से एचआइवी हो सकता है। संक्रमित गर्भवती से उसके नवजात बच्चे को होने का भी खतरा रहता है। खून चढ़ाने से पहले जांच होती है। नई सिरिज का ही प्रयोग होता है। किसी गर्भवती में संक्रमण की पुष्टि होती है बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए उपचार किया जाता है। प्रमुख कारण असुरक्षित यौन संबंध ही होता है। एचआइवी एक वायरस है। संक्रमित व्यक्ति खानपान का ध्यान रखें, नियमित दवा लेते रहें तो वायरस का प्रहार नियंत्रित भी हो सकता है। एचआइवी संक्रमित होना शुरुआती स्टेज है। एड्स होना गंभीर स्टेज है। मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता ध्वस्त हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग की काउंसलर दीपा चौहान का कहना है कि 95 फीसदी केस असुरक्षित यौन संबंध के होते हैं।
-मेडिकल कुंडली मिलाने पर जोर
शामली सीएचसी के चिकित्सक डा. विजेंद्र का कहना है कि शादी से पहले लड़का-लड़की की मेडिकल कुंडली का भी मिलान होना चाहिए। युवक-युवती को एचआइवी, हेपेटाइटिस बी और सी की जांच करानी चाहिए। टीबी मरीजों की भी होती है जांच
वर्ष 2019 में 2767 टीबी मरीजों की जांच हुई। इनमें 11 रोगी एचआइवी पाजिटिव मिले। वर्ष 2020 में अब तक 1385 मरीजों की जांच हुई। इनमें चार पाजिटिव आए हैं। वर्ष 2020 में अब तक तीन गर्भवती महिलाओं में एचआइवी की पुष्टि हुई है। जल्द शुरू होगा एआरटी सेंटर
अभी तक जिला अस्पताल मुजफ्फरनगर स्थित एआरटी सेंटर से ही एचआइवी संक्रमितों की दवा आती है। शामली में जिला अस्पताल जल्द शुरू होने की उम्मीद है तो एआरटी सेंटर भी स्थापित हो जाएगा।
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एचआइवी के प्रमुख लक्षण
-टीबी से ग्रस्त होना
-वजन का घटना
-जख्म का न भरना
-लंबे समय तक बुखार
रहना-यूरिन संक्रमण का ठीक न होना
-हड्डी का नहीं जुड़ना इनका कहना है
टीबी के मरीजों और गर्भवतियों की एचआइवी जांच कराई जाती है। एचआइवी संक्रमित की दवा न छूटे, इसका भी पूरा ध्यान रखा जाता है। समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जाता है।
-डा. सफल कुमार, जिला एड्स नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी,