कग्गा के बाद मुकीम ने संभाली थी गैंग की कमान
वर्ष 2011 में सहारनपुर जिले के बाड़ी माजरा गांव निवासी मुस्तफा उर्फ कग्गा का जरायम की दुनिया में एकछत्र राज था। मुस्तफा के गैंग में ही मुकीम काला ने एंट्री की थी और उसका राइट हैंड बन गया था। खाकी पर हमला करने से पुलिस से उसकी दुश्मन हो गई थी। झिझाना के बिडोली चौकी पर मुस्तफा ने एक सिपाही की गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी। इसके बाद सहारनपुर जिले की पुलिस ने मुस्तफा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। इसके बाद मुकीम काला ने गैंग की कमान संभाली थी।
जेएनएन, शामली। वर्ष 2011 में सहारनपुर जिले के बाड़ी माजरा गांव निवासी मुस्तफा उर्फ कग्गा का जरायम की दुनिया में एकछत्र राज था। मुस्तफा के गैंग में ही मुकीम काला ने एंट्री की थी और उसका राइट हैंड बन गया था। खाकी पर हमला करने से पुलिस से उसकी दुश्मन हो गई थी। झिझाना के बिडोली चौकी पर मुस्तफा ने एक सिपाही की गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी। इसके बाद सहारनपुर जिले की पुलिस ने मुस्तफा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। इसके बाद मुकीम काला ने गैंग की कमान संभाली थी।
मुकीम काला ने करीब दस साल पहले जरायम की दुनिया में कदम रखा था। उस समय मुस्तफा उर्फ कग्गा आए दिन व्यापारियों से रंगदारी वसूल रहा था। झिझाना थाना क्षेत्र के मंसूरा गांव निवासी लाडडा का कग्गा ने पुलिस मुखबिरी के शक में घर में घुसकर एलानिया कत्ल किया था। उस वक्त मुकीम काला कग्गा का शूटर बन
चुका था और हत्या में कग्गा के साथ था। हरियाणा की तरफ से सेट्रो कार में आ रहे मुस्तफा ने झिझाना के बिडोली चौकी पर सर्विलांस के सिपाही सचिन की गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी। घटना के समय तत्कालीन एसओजी प्रभारी जितेंद्र समेत बीस पुलिसकर्मी मौजूद थे। सिपाही की हत्या के दौरान भी मुकीम काला कग्गा के साथ था। उस समय पहली बार मुकीम काला चर्चा में आया था। सहारनपुर में 2011 में कग्गा के एनकाउंटर में ढेर होने के बाद मुकीम काला ने गैंग की कमान संभाल ली थी।
जब दहशत में लग जाते थे थानों में ताले
कग्गा की मुजफ्फरनगर जिले में इस कदर दहशत थी कि उसके नाम से व्यापारी से लेकर खाकी तक कांपती थी। उस वक्त कग्गा के खौफ से मुजफ्फरनगर जिले के देहात क्षेत्र के अधिकांश थानों में रात के समय गेट पर ताले लगा दिए जाते थे।