श्वेत क्रांति पर काले बादल, बजट में अटका सशक्तीकरण

बड़े अरमान से हुई थी शाहजहांपुर महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ (शमूल) की स्थापना। सपना था रोजाना 75 हजार लीटर अतिरिक्त दूध उत्पादन का।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 11:47 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 11:47 PM (IST)
श्वेत क्रांति पर काले बादल, बजट में अटका सशक्तीकरण
श्वेत क्रांति पर काले बादल, बजट में अटका सशक्तीकरण

जेएनएन, शाहजहांपुर : बड़े अरमान से हुई थी शाहजहांपुर महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ (शमूल) की स्थापना। सपना था रोजाना 75 हजार लीटर अतिरिक्त दूध उत्पादन का। 2018 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (अमूल) की तर्ज पर शमूल को पहचान दिलाने के लिए पांच वर्ष का करार किया। सात स्थाई समेत 13 कार्मिक नियुक्त कर दिए गए। लेकिन 16 डेयरी से मात्र 800 लीटर दुग्ध उत्पादन पर शमूल सिमट गया। मदर डेयरी, पराग, सुदामा, जीवन आनंद समेत जिले का कुल उत्पादन 17700 लीटर है। जनपद की करीब छह लाख भैंस व दो लाख गाय के करीब तीन लाख लीटर को मिलाकर भी जिले की करीब 38 लाख की आबादी के लिए प्रतिव्यक्ति निर्धारित न्यूनतम 200 मिलीलीटर के सापेक्ष तिहाई मात्रा में भी दूध नहीं मिल पा रहा है। इससे श्वेतक्रांति के ग्रहण के साथ सेहत पर भी असर पड़ रहा है।

नारी सशक्तीकरण व श्वेतक्रांति के लिए अवतरित हुई शमूल

प्रदेश के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एनडीडीबी ने की मदद से शमूल की शुरुआत हुई। केंद्र व प्रदेश सरकार के संयुक्त सहयोग स्थापित शमूल प्रोजेक्ट के लिए 20 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया। दस करोड़ की धनराशि भी आवंटित कर दी गई। लेकिन यह बल्क मिल्क यूनिट के निर्माण के लिए भी। इस कारण इसे वापस कर दिया गया। डेयरी प्रोत्साहन को बजट मिला नहीं। हालांकि प्रबंध निदेशक, दो महिला अधिकारियों समेत सात कार्मिकों की स्थाई नियुक्ति कर दी। एनडीडीबी ने एग्रीमेंट कर शमूल की बागडोर संभाल ली। लेकिन 236 दुग्ध सहकारी समितियों के सापेक्ष 16 को ही शमूल ने प्रोजेक्ट में शामिल किया। शेष 220 समितियों को बरेली दुग्ध उत्पादक संघ से जोड़ दिया गया।

सात हजार लीटर पर सिमटा उत्पादन

शमूल की 16 समितियों इन दिनों करीब 600 लीटर उत्पादन हो रहा, जबकि सामान्य दिनों में उत्पादन 800 लीटर था। अन्य 220 दुग्ध समितियों से बरेली दुग्ध उत्पादक संघ करीब साढ़े सात हजार लीटर दूध खरीद रहा है। एनडीडीबी बरेली दुग्ध उत्पादक संघ पर निर्भर है। शमूल की 16 समितियों के दूध भी अभी तक पराग ब्रांड से ही बाजार में बेचा जा रहा है।

चार ब्लाक में सिमटी महत्वाकांक्षी योजना

पूर्व कृषि एव किसान कल्याण राज्यमंत्री कृष्णराज ने जिले की करीब 30 हजार महिलाओं के उत्थान के लिए शाहजहांपुर महिला दुग्ध उत्पादक संघ शमूल की शुरूआत की थी। लेकिन एनडीडीबी में मदनापुर की 9, जलालाबाद तथा तिलहर की एक एक तथा कांट में 5 दुग्ध समितियों को ही प्रोजेक्ट में शामिल किया। शेष सभी ब्लाक वंचित है।

तकनीकी प्रशिक्षण से 20 फीसद बढ़ा दिया था दूध

30 सितबर 2018 को एनडीडीबी ने एग्रमेंट कर 16 दुग्ध समितियों को शमूल का हिस्सा बनाया तब इनका दूध उत्पादक 566 लीटर था। अमूल डेयरी में काम कर चुके एनडीडीबी के झारखंड प्रबंधक निदेशक रहे डा. आशीष चंद्रा ने तकनीकी प्रशिक्षण व कैटल फीड से 20 फीसद दूध का उत्पादन बढ़ा दिया। इससे दुग्ध उत्पादकों को काफी फायदा हुआ। लेकिन भेजे गए प्रोजेक्ट को स्वीकृति न मिल पाने की वजह से आगे काम न बढ़ सका। फोटो 31 एसएचएन 11

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने शमूल से पांच वर्ष का करार किया है। अक्टूबर 2019 में 16 समितियों को टेकओवर किया गया। बजट के अभाव में दुग्ध समितियों का विकास कार्य प्रभावित है। यदि प्रोजेक्ट के तहत बजट मिला तो गुजरात की आनंद डेयरी के ब्रांड अमूल की की तर्ज पर शमूल की पहचान होगी। दो महिला अधिकारियों समेत सात कार्मिकों की मदद से 45 गांव के 820 दुग्ध उत्पादकों को प्रशिक्षित किया। 385 घरों में 355 महिलाओं से वार्ता हुई।206 बैठक की गई। पशुओं की देखभाल के साथ अनुवांशिक सुधार भी जरूरी है। समितियों को आर्थिक मदद से दुग्ध उत्पादन को प्रेरित करना होगा।

डा. आशीष चंद्र सिन्हा, प्रबंध निदेशक शमूल

फोटो 31 एसएचएन 12

शमूल शाहजहांपुर का गौरव है। सभी दुग्ध उत्पादक शमूल से जुड़ना चाहते हैं। लेकिन एनडीडीबी ने शमूल में सिर्फ 16 समितियों को लिया है। 220 समितियां वंचित है। जनपद में दुग्ध उत्पादन की अपार संभावनाएं है। प्रवासी श्रमिकों के आने के बाद दुग्ध उत्पादन का महत्व बढ़ा है।

सुनील कुमार यादव, दुग्ध उत्पादक शाहजहांपुर महिला दुग्ध उत्पादक संघ तथा दुग्ध उत्पादकों के उत्थान को हर संभव प्रयास किए जाएंगे। प्रमुख सचिव दुग्ध विकास समेत संबंधित अधिकारियों से मिलकर बजट का गतिरोध दूर कराया जाएगा। महत्कांक्षी प्रोजेक्ट पर किसी तरह की अड़चन आने नहीं दी जाएगी।

अरुण सागर, सांसद बरेली मंडल में इन दिनों करीब 500 दुग्ध समितियां से 25 हजार लीटर दूध की आपूर्ति हो रही है। शाहजहांपुर से साढे सात हजार का सहयेाग है। एनडीडीबी की 16 शमूल समितियों के दूध को भी बरेली दुग्ध उत्पादक संघ खरीदता है। संघ की ओर से मदर डेयरी को पांच हजार संघ की ओर से 20 हजार की आपूर्ति की जा रही है। लॉकडाउन में दूध समेत पनीर मट्ठा, छेना खीर, पेड़ा, दही की भी खपत बढ़ी।

गया प्रसाद, प्रबंध निदेशक बरेली दुग्ध उत्पादक संघ करगैना बरेली

फैक्ट फाइल

- सितंबर 2018 : शाहजहांपुर महिला दुग्ध उत्पादक संघ (शमुल) का गठन हुआ

- दिसंबर 2018 : शमूल की पहली बैठक

- फरवरी 2019 : राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के साथ 5 वर्ष का करार

- लक्ष्य : 30 हजार लघु एवं सीमांत किसानों को जोड़कर 75 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन

- प्राप्ति : 16 दुग्ध सहकारी समितियों से मात्र 800 लीटर दूध उत्पादन

- अड़चन : बजट का अभाव, 10 करोड़ धनराशि भी वापस

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