रोडवेज खचाखच, निजी बसों की छत पर बैठे प्रवासी

मीरानपुर कटरा का लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे। रात के 12 बज रहे हैं। हाईवे पर वाहनों की संख्या ज्यादा है। दिल्ली की ओर से आने वालीं रोडवेज बसें फुल हैं। प्राइवेट बसों में यात्री छतों पर बैठे हुए हैं। ट्रकों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। हालात लगभग एक साल पहले जैसे हैं लेकिन तस्वीरें नई हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 11:38 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 11:38 PM (IST)
रोडवेज खचाखच, निजी बसों की छत पर बैठे प्रवासी
रोडवेज खचाखच, निजी बसों की छत पर बैठे प्रवासी

जेएनएन, शाहजहांपुर : मीरानपुर कटरा का लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे। रात के 12 बज रहे हैं। हाईवे पर वाहनों की संख्या ज्यादा है। दिल्ली की ओर से आने वालीं रोडवेज बसें फुल हैं। प्राइवेट बसों में यात्री छतों पर बैठे हुए हैं। ट्रकों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। हालात लगभग एक साल पहले जैसे हैं, लेकिन तस्वीरें नई हैं।

हरदोई बाईपास पर बस रुकने के बाद चाय पी रहे यात्रियों में देवरिया के महेश राय भी हैं। ट्रक चलाते हैं। सप्ताह भर पहले काम की तलाश में दिल्ली गए थे। छोटे वाहन पर नौकरी भी मिल गई, लेकिन लाकडाउन लग गया। मालिक ने काम की कमी का बहाना बनाकर वापस भेज दिया। बोले घर पर नहीं बता सकते। रिश्तेदारी में शादी है उसमें शामिल होने आए हैं का बहाना बना देंगे। सुबह नौ बजे बरेली मोड़ पर बस्ती के संदीप कुमार ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे। तीन माह पहले दो भाइयों के साथ दिल्ली सिलाई फैक्ट्री में काम करने आ गए। पिछले एक महीने से कोरोना की खबरें पढ़ व देख रहे थे। सोमवार को जैसे ही लाकडाउन लगा। भाइयों के साथ वापस चल दिए। बड़ी मुश्किल से बस में सीट मिली। आनंद विहार पर काफी भीड़ है। कुशीनगर के यादवेंद्र रिक्शा चलाकर दिहाड़ी मिलती है। उससे ही घर का खर्च चलता है। बोले छह दिन सब कुछ बंद कर दिया है। आगे भी पता नहीं क्या होगा इसलिए मजबूरी थी घर वापसी। बोले जिनके पास रुपये हैं वे रुके हैं। बाकी के पास वापसी के सिवाय कोई चारा नहीं है।

घर पहुंचने की जल्दी

रात भर हाईवे पर ऐसे ही बस व ट्रक गुजरते रहे। मंगलवार को पूरे दिन हाईवे पर कटरा, बरेली मोड़, हरदोई बाईपास, जमुका, गुर्री तमाम स्थानों से इस तरह की तस्वीरें सामने आती रहीं। डबल डेकर बसों की छतों पर बैठे इन लोगों को घर पहुंचने की जल्दी है। हादसे का डर है, लेकिन क्या करें साधन की कमी है। सरकारी बसों में जगह नहीं है। पिछली बार साइकिल, रिक्शा व आटो से दिल्ली से बिहार तक का सफर करते लोगों को इन्होंने भी देखा है। कोरोना का संक्रमण कब खत्म होगा पता नहीं। ऐसे में फिलहाल अपनों के पास पहुंचना चाहते है।

अभी नहीं कोई दिक्कत

मीरानपुर कटरा में बस की छत पर बैठे लोगों को हुलासनगरा क्रासिग के हाइटगेट के कारण उतरना पड़ा। बहराइच, कुशीनगर, कौशांबी, अंबेडकरनगर आदि जिलों के ये सभी मजदूरी पेशा लोग थे। बोले, पिछली बार हालात सामान्य हुए तो मालिक ने बुलवा लिया था। इस बार भी बुलवा लेंगे। तब तक कुछ दिन घर में रहेंगे। 29 अप्रैल को वोट पड़ने हैं। दो मई को मतगणना निपटने के बाद सोचेंगे क्या करना है। लाकडाउन के बीच शादी, चुनाव सहित तमाम बहाने हैं इन लोगों के पास घर वापस जाने के। हालांकि अभी खाना-पानी को लेकर कोई दिक्कत सामने नहीं आई। सीतापुर के लहरपुर के निगलिया गांव निवासी शिव दिल्ली के सेक्टर पांच की जूते के धागा बनाने की फैक्ट्री में सुरक्षाकर्मी हैं। बता रहे थे पहले दो दिन की बंदी हुई। उसमें तो किसी तरह समय काट लिए, लेकिन अब छह दिन नहीं रुक सकते। इसलिए जैसे ही बस मिली उससे चले आए। सीतापुर के ही महोली क्षेत्र के कसाई मुहल्ला निवासी इसरार ने बताया कि आठ दिन से काम नहीं मिला। मजदूरी करते हैं इतनी जमा पूंजी नहीं कि बैठकर खाए। इसलिए साथियों के कहने पर वह भी घर के लिए वापस चल दिए। अब सबकुछ सही होगा तभी वहां पर जाएंगे। हरदोई के पिहानी निवासी मनीष ने बताया कि स्थिति पहले से अधिक गंभीर दिख रही है। पहले शनिवार और रविवार का लाकडाउन लगाया गया था। उसके बाद एकदम से छह दिन बंदी कर दी है। अभी वाहन चल रहे हैं इसलिए अपने घर वापस आना ही उचित समझा। पिहानी के ही प्रियांशु ने बताया कि पिछली बार लाकडाउन के चलते दिल्ली से अपने घर पहुंचते-पहुंचते 10 दिन लग गए थे। हालात वैसे ही बन रहे हैं। हालांकि सरकार सब नियंत्रण में बात रही है, लेकिन समय से घर पहुंच जाना ही बेहतर है। बाराबंकी निवासी वंशी ने बताया कि गांव से फोन आया था 26 अप्रैल चुनाव है। दिल्ली में लाकडाउन भी लग गया। ऐसे में वोट डालने के लिए वहां जा रहे हैं। छह दिन बाद स्थिति सामान्य हुई तो जाएंगे, नहीं तो गांव मे मजदूरी करके गुजारा करेंगे। सीतापुर निवासी मुजीब ने बताया कि जिस फैक्ट्री में काम करते थे उसके मालिक ने बताया कि अभी ज्यादा दिक्कत नहीं है। घर चले जाओ। जब स्थिति सामान्य होगी तो वह स्वयं बुलवा लेंगे। काम था नहीं इसलिए वापस जा रहे हैं।

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