दिखाना था खेलों में दमखम, ट्रायल में ही ठिठक गए कदम
महेंद्र सिंह धौनी, मैरीकॉम, मिल्खा सिंह, पीटी ऊषा जैसी खेल प्रतिभाएं अपने जिले से उभर पाना मुश्किल है।
जेएनएन, शाहजहांपुर : महेंद्र सिंह धौनी, मैरीकॉम, मिल्खा सिंह, पीटी ऊषा जैसी खेल प्रतिभाएं अपने जिले से उभर पाना मुश्किल है। कारण है कि सरकारी तंत्र की खेलों और उनमें खिलाड़ियों को जोड़ने, निखारने के प्रति उदासीनता। 12 से 18 फरवरी तक स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रदेश के खेल छात्रावासों के लिए हुए जनपदीय ट्रायल ने यही निराशाजनक तस्वीर पेश की। नौ खेलों में एक भी खिलाड़ी नहीं आया। फुटबाल, वॉलीबाल, कबड्डी जैसे टीम गेम में महज एक-एक खिलाड़ी ही पहुंचा।
प्रदेश के सभी 11 छात्रावासों में आगामी सत्र के लिए नए खिलाड़ियों के प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसके लिए हर जिले व मंडल से बेहतर खिलाड़ी तलाशे जा रहे हैं। अपने जिले में इसके लिए 12 से 18 फरवरी तक ट्रायल आयोजित हुए थे। जिले में 16 में से नौ खेलों में तो खिलाड़ी ही नहीं आए। शर्मिदगी बचाने के लिए केवल हॉकी में ही चार खिलाड़ी मंडलीय ट्रायल के लिए बरेली भेजे गए, जबकि नौ बालकों ने ट्रायल दिया था।
इन खेलों में नहीं मिले खिलाड़ी
जिम्नास्टिक, तैराकी, कुश्ती, टेबल टेनिस, बास्केटबॉल, तीरंदाजी, बॉ¨क्सग, जूडो, हैंडबॉल में कोई खिलाड़ी नहीं आया।
अन्य खेलों की स्थिति
क्रिकेट : 13
हॉकी : 9
बैड¨मटन : 4
एथलेटिक्स : 4
फुटबॉल : 1
वॉलीबॉल : 1
कबड्डी : 1 इन छात्रावासों के लिए थे ट्रायल
आगरा, मेरठ, लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या, आजमगढ़, गोरखपुर, बरेली, प्रयागराज, अमेठी, सोनगढ़। बालिका वर्ग में केवल एक खिलाड़ी आयी
बेटियों को खेलों के प्रति प्रेरित करने की स्थिति तो और शर्मिदगी भरी है। 16 में से केवल एथलेटिक्स में ही एक बालिका ट्रायल के लिए पहुंची। वह भी मंडल के लिए मानकों के पैमाने पर क्वालीफाई नहीं कर सकी।
वर्जन..
युवाओं को खेलों से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। शिक्षण संस्थाओं से संपर्क करते हैं। खिलाड़ियों को नियमित अभ्यास कराने की अपील करते हैं।
-जितेंद्र भगत, जिला क्रीड़ा अधिकारी