टापू पर गुजारी रात, चौबीस घंटे बाद बाढ़ से निकले

गर्रा नदी में अचानक आयी बाढ़ से चित्तीबोझी के पांच लोग बाढ़ में फंस गए। उन्हें चौबीस घंटे बाद सुरक्षित निकाला जा सका। इस दौरान उन्होंने गर्रा तथा कठिना नदी के बीच बने टापू पर ट्राली में बैठकर रात गुजारी। एक व्यक्ति ने ट्यूब के सहारे सभी को खाना भिजवाया

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 01:22 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 01:22 AM (IST)
टापू पर गुजारी रात, चौबीस घंटे बाद बाढ़ से निकले
टापू पर गुजारी रात, चौबीस घंटे बाद बाढ़ से निकले

जेएनएन, शाहजहांपुर : गर्रा नदी में अचानक आयी बाढ़ से चित्तीबोझी के पांच लोग बाढ़ में फंस गए। उन्हें चौबीस घंटे बाद सुरक्षित निकाला जा सका। इस दौरान उन्होंने गर्रा तथा कठिना नदी के बीच बने टापू पर ट्राली में बैठकर रात गुजारी। एक व्यक्ति ने ट्यूब के सहारे सभी को खाना भिजवाया।

बुधवार सुबह चितीबोझी घनश्यामपुर के 13 लोग गर्रा नदी को पैदल पार कठिना तथा गर्रा नदी के बीच टापू पर तिल की कटाई के लिए गए थे। वहां खेती कार्य के लिए बिहारीपुर निवासी इनफान की ट्राली भी थी। सभी ने दोपहर तक तिल की फसल काटी। जब खाना खाने के लिए घर जाने को हुए तो नदी उफान पर थी। बहाव भी तेज था। कठिना नदी का जलस्तर भी काफी बढ़ गया था। सात लोग दिन में ही ट्यूब के सहारे गर्रा नदी को पार कर चित्तीबोझी आ गए। लेकिन बृजकिशोर, विपिन, संतकुमार, विकास, तोताराम फंस गए।

एसडीएम तिलहर सुरेंद्र कुमार सिंह ने रात में सुरक्षित निकालने के लिए नाव भेजी, लेकिन वह आवाज लगाने पर भी टापू पर नही मिले। नतीजतन नाव रात में खाली लौट आयी। गुरुवार सुबह फिर नाव भेजी गई तो वहां तोताराम, विकास, विपिन मिले। बृजकिशोर और संतकुमार रात में ही हिम्मत जुटाकर ट्यूब के सहारे कठिना नदी से होकर घर पहुंच गए। ट्यूब की मदद से पहुंचाया खाना

भूखे प्यासे पांचों लोगों को परेसाना निवासी करण ने टापू पर खाना पहुंचाया। कोई साधन न होने पर ट्रैक्टर के ट्यूब पर रस्सी से तख्ता बांधा। इसके बाद बाढ़ को पारकर खाना भिजवाया। शीशम के पेड़ से बांधी ट्राली, जागकर बिताई रात

रात के करीब 12 घंटे बाढ़ में फंसे लोगों को काटना मुश्किल रहे। हालांकि सभी ने खुद को सुरक्षित रखने के लिए ट्राली रस्सी के सहारे बांध लिया था। अधिक पानी बढ़ने की दशा में पेड़ पर चढ़कर जिदगी बचाने का जुगाड़ बना लिया था। घर पहुंचते ही गले लिपट गए स्वजन

बाढ़ में फंसे लोग गुरुवार सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर टापू से सुरक्षित बाहर आए। घर पहुंचते ही स्वजन लिपट गए। विपिन, विकास, तोताराम की आंखों में आंसू भर आए।

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