पेट में कपड़ा छोड़ने का मामला..जांच टीमें बनती रहीं, महिला की जान चली गई
राजकीय मेडिकल कालेज के डाक्टर की लापरवाही के कारण आखिरकार महिला की जान चली गई। प्रसव कराने के लिए आपरेशन के दौरान पेट में छूटे कपड़े से इंफेक्शन इस कदर फैला कि सोमवार देर रात उन्होंने दम तोड़ दिया। इतने गंभीर मामले में डीएम के निर्देश के बाद जांच के नाम पर तीन बार सिर्फ कमेटी गठित हो सकीं। स्वजन इस मामले में कार्रवाई कराने की बात कह रहे हैं
जेएनएन, शाहजहांपुर : राजकीय मेडिकल कालेज के डाक्टर की लापरवाही के कारण आखिरकार महिला की जान चली गई। प्रसव कराने के लिए आपरेशन के दौरान पेट में छूटे कपड़े से इंफेक्शन इस कदर फैला कि सोमवार देर रात उन्होंने दम तोड़ दिया। इतने गंभीर मामले में डीएम के निर्देश के बाद जांच के नाम पर तीन बार सिर्फ कमेटी गठित हो सकीं। स्वजन इस मामले में कार्रवाई कराने की बात कह रहे हैं।
तिलहर थाना क्षेत्र के रमापुर उत्तरी गांव निवासी मनोज कुमार की पत्नी नीलम देवी ने छह जनवरी को राजकीय मेडिकल कालेज में बेटी को जन्म दिया था। उनके आपरेशन के दौरान डाक्टर ने लापरवाही करते हुए पेट में ही कपड़ा छोड़ दिया था। कुछ दिन बाद नीलम की जब दोबारा तबीयत बिगड़ी तो उनकी जांच कराई गई। 21 जून को एक निजी मेडिकल कालेज में दोबारा आपरेशन कराकर कपड़ा निकाला गया था। लेकिन आंत में इंफेक्शन होने की वजह से लखनऊ रेफर कर दिया गया था। जहां 20 जुलाई को दूसरा आपरेशन हुआ था, लेकिन हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती गई और सोमवार रात नीलम की मौत हो गई।
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जांच अधिकारी ने बनाई दूरी
नीलम के पति मनोज ने आइजीआरएस पर व डीएम से छह जुलाई को शिकायत की तो राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. राजेश कुमार ने पहले महिला सीएमएस डा. अनीता धस्माना को जांच सौंपी थी। लेकिन अगले दिन ही उनका तबादला हो गया। उनके स्थान पर आए महिला सीएमएस डा. अशोक रस्तोगी ने जांच करने के बजाय मामला प्राचार्य के स्तर का होने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया था। इसके बाद 20 जुलाई को तीन सदस्यों वाली दूसरी टीम गठित की गई। लेकिन यह टीम भी जांच करने की बजाय सात दिन तक टालामटोली करती रही। ऐसे में प्राचार्य ने 26 जुलाई को इस मामले मे चार सदस्यों वाली तीसरी जांच टीम गठित की, लेकिन यह टीम भी अपनी जांच शुरू कर करती उससे पहले महिला की मौत हो गई। डाक्टर का लखनऊ हो गया तबादला
जिन डॉक्टर ने नीलम का आपरेशन किया था उनका लखनऊ तबादला हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने जब उनसे संपर्क किया तो वह कुछ भी इस मामले में बोलने से बच रहे हैं। आर्थिक रूप से टूट गया परिवार
मनोज खेती करते हैं। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। नीलम के तीन आपरेशन कराने के साथ ही लखनऊ में 10 दिन से ज्यादा इलाज कराने के दौरान करीब पांच लाख रुपये खर्च आ गया। नीलम के पिता राधेश्याम ने बताया कि बेटी का इलाज कराते-कराते कर्जदार भी बन गए है।
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जांच अधिकारी किसी वजह से नहीं आ रही थीं। ऐसे में फिर से चार सदस्यीय टीम गठित करनी पड़ी। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
डा. राजेश कुमार, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कालेज