खुले में कट रही रैन, बसेरा पर जड़ा ताला
मुसाफिरों के लिए बना रैन बसेरा जरूरतमंदों को आसरा नहीं दे पा रहे है। बदहाल व्यवस्था का आलम यह है कि रैन बसेरा के दरवाजे पर ताला जड़ दिया जाता है। नतीजतन राहगीरों व मजदूरों को रैन बसेरा के दरवाजे के बाहर ही रात काटनी पड़ती है।
जेएनएन, शाहजहांपुर : मुसाफिरों के लिए बना रैन बसेरा जरूरतमंदों को आसरा नहीं दे पा रहे है। बदहाल व्यवस्था का आलम यह है कि रैन बसेरा के दरवाजे पर ताला जड़ दिया जाता है। नतीजतन राहगीरों व मजदूरों को रैन बसेरा के दरवाजे के बाहर ही रात काटनी पड़ती है। जबकि हनुमतधाम स्थित रैन बसेरा समेत शेल्टर होम में प्रवास की क्षमता 200 के करीब है। अफसर रैन बसेरा में बेहतर व्यवस्थाएं देने का दावा तो करते हैं, लेकिन हकीकत इससे जुदा है।
रात 11.30 बजे
टाउनहाल स्थित रैन बसेरा पर ताला था। बाहर गेट पर एक व्यक्ति गहरी नींद में सो रहा था। टाउनहाल मंदिर के बाहर खुले आसमान के नीचे एक मुसाफिर हल्का का एक कंबल ओढ़े लेटा था। थकावट में गहरी नींद में उसे ठंड का भी अहसास नहीं हो रहा था।
रात 12 बजे
हनुमतधाम में चार मंजिला रैन बसेरा बना है। यहां एक साथ सौ मुसाफिर रुक सकते हैं। लेकिन व्यवस्था से जुड़े लोगों की लापरवाही की चलते गरीब, मजदूर मुसाफिर रैन बसेरा के बाहर रात काटने को मजबूर है। रात 12:00 बजे जागरण टीम ने दृश्य को कैमरे में कैद कर दिया। शेल्टर होम के पीछे खुले आसमान के नीचे वह से गया जबकि रैन बसेरा पर ताला जड़ा था। रैन बसेरा का निरीक्षण किया जाएगा। रात्रि प्रवास भी होगा। रैन बसेरा में यदि ताला मिला तो कार्रवाई होगी। मुसाफिरों के लिए ही रैन बसेरा बना है। यदि किसी को कोई असुविधा है तो वह 9454417598 नंबर पर मदद ले सकता है।
- गिरिजेश चौधरी, एडीएम वित्त एवं राजस्व