कुली व वेंडर के सामने फिर रोजगार का संकट

कोरोना ने कुली व वेंडर के सामने रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है। ट्रेन में सफर करने वालों की संख्या दिन प्रति दिन कम होने से स्टेशन पर ज्यादातर समय पर सन्नाटा पसरा रहता है। जिससे कुली व वेंडर के सामने परिवार का पालन-पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 01:26 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 01:26 AM (IST)
कुली व वेंडर के सामने फिर रोजगार का संकट
कुली व वेंडर के सामने फिर रोजगार का संकट

जेएनएन, शाहजहांपुर : कोरोना ने कुली व वेंडर के सामने रोजगार का संकट खड़ा कर दिया है। ट्रेन में सफर करने वालों की संख्या दिन प्रति दिन कम होने से स्टेशन पर ज्यादातर समय पर सन्नाटा पसरा रहता है। जिससे कुली व वेंडर के सामने परिवार का पालन-पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में ज्यादातर कुलियों ने जहां ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। वहीं, कुछ दिहाड़ी मजदूरी कर रहे है।

गत वर्ष कोरोना संक्रमण से ट्रेनों का संचालन बंद हो गया था। दस माह बाद जब ट्रेनें फिर से पटरी पर आई तो वेंडर, कुली आदि के चेहरों पर भी खुशी आने लगी थी। हालांकि, कोरोना संक्रमण की वजह से हालात पूरी तरह से तो सामान्य नहीं हुए। लेकिन, परिवार का पालन-पोषण जैसे-तैसे हो रहा है। अब कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने से एक बार फिर यह लोग दूसरे रोजगार की तलाश में जुट गए है।

नहीं उठवा रहे सामान

रेलवे स्टेशन पर 23 कुली तैनात थे। लेकिन संक्रमण की वजह से महज 10 कुली ही इन दिनों स्टेशन पर पहुंच रहे है। लेकिन, लोग कोरोना की वजह से सामान उठवाने से बच रहे है। इससे यह लोग भी ट्रेनें आने पर ही कुछ देर के लिए स्टेशन जाते है।

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प्लेटफार्म टिकट बिक्री बंद

बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म टिकट की बिक्री बंद कर दी है। ऐसे में स्टेशन पर सिर्फ वहीं लोग पहुंच रहे है जिन्हें सफर करना होता है। इससे स्टेशन पर सन्नाटा पसरा रहता है। इनकी सुनें..

फोटो : 15एसएचएन 25

सामान्य दिनों में 200 रुपये प्रतिदिन कमाई हो जाती थी। अब कई-कई दिन बोहनी भी नहीं हो पाती है। ऐसे में दिन में मजदूरी भी कर लेते है।

हिफाजत अली, कुली फोटो : 15एसएचएन 26

पहले व्यापारियों का सामान ट्रेनों से आ जाता था जिससे कमाई ठीक हो जाती थी। लेकिन अब बाहर से सामान न के बराबर आ रहा है।

मोहम्मद कासिद, कुली

फोटो : 15एसएचएन 30

घर में तमाम खर्च होते है। लेकिन, पूरे दिन मेहनत करने के बाद महज 100 रुपये मिल पाते है। जिससे खर्च चलना मुश्किल हो रहा है।

शकील, वेंडर फोटो : 15एसएचएन 31

दो साल में परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है। पहले साल भर कोई कमाई नहीं हुई। अब फिर वैसे ही हालात बनते जा रहे है।

याकूब खां, वेंडर

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