जिले के 34 शिक्षकों का निधन, लेकिन मदद में शामिल नहीं

जेएनएन शाहजहांपुर पंचायत चुनाव के बाद अब तक जान गंवाने वाले जनपद के 34 शिक्षकों को भी सरकार ने चुनाव मुआवजा की सूची में नहीं शामिल किया है। इस पर स्थानीय शिक्षक संगठनों ने पदाधिकारी व शिक्षक आक्रोशित है। उन्होंने सरकार से मुआवजा के साथ पारिवारिक पेंशन व आश्रित को नौकरी की मांग की है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 May 2021 01:29 AM (IST) Updated:Fri, 21 May 2021 01:29 AM (IST)
जिले के 34 शिक्षकों का निधन, लेकिन मदद में शामिल नहीं
जिले के 34 शिक्षकों का निधन, लेकिन मदद में शामिल नहीं

जेएनएन शाहजहांपुर : पंचायत चुनाव के बाद अब तक जान गंवाने वाले जनपद के 34 शिक्षकों को भी सरकार ने चुनाव मुआवजा की सूची में नहीं शामिल किया है। इस पर स्थानीय शिक्षक संगठनों ने पदाधिकारी व शिक्षक आक्रोशित है। उन्होंने सरकार से मुआवजा के साथ पारिवारिक पेंशन व आश्रित को नौकरी की मांग की है। दरअसल कोरोना कोरोना संक्रमण काल के दौरान हुए पंचायत चुनाव में सभी शिक्षकों की ड्यूटी लगी। इनमें बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमित हो गए। कुछ ने जांच करा ली, 1621 लोगों में किसी ने कार्यस्थल, कइयों ने घर तथा तमाम शिक्षकों की उपचार के दौरान मौत हो गई। न्यायालय ने पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से मौत होने पर एक करोड़ की सहायता के लिए कहा। सरकार ने भी तीस लाख मदद की पहल की, लेकिन बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने सौंपी गई सूची में केवल तीन शिक्षकों की कोरोना से मौत बता दी। इस पर शिक्षकों में आक्रोश है। सभी शिक्षक संगठनों ने मुआवजा के साथ पारिवारिक पेंशन व आश्रितों को तत्काल नौकरी की मांग की है। सरकार ने नही दिया साथ तो शिक्षकों ने बढ़ाए मदद को हाथ

बेसिक शिक्षकों को बीमा का भी लाभ नहीं है। इस कारण गत वर्ष लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों के दो संगठन मदद को बने। इनमें टीचर्स सेल्फ केअर टीम (टीएससीटी) ने अब तक प्रदेश के सात जिलों के 9 शिक्षको को एक करोड़ 44 लाख तक की मदद की है। इस ग्रुप से 45078 शिक्षक जुड़े है। जो ग्रुप सदस्य की मौत पर उसके आश्रित के खाते में 100 रुपये की धनराशि भेजकर मदद करते है। मदद का पूरा ब्योरा वेबसाइट पर रहता है। जनपद के भी संगठन के दो हजार से अधिक शिक्षक जुड़े है। दूसरा संगठन शिक्षक सहायतार्थ मंच नाम से ग्रुप बना है। इस ग्रुप में भी सदस्य संख्या करीब दो हजार है। मंच की ओर से जनपद के पंचायत चुनाव के दौरान अंतिम सांस लेने वाले दो शिक्षकों के आश्रितों को पांच लाख की सहायता दी जा चुकी है।

संध ने शासन से कोरोना संक्रमण काल में चुनाव न कराने का कई बार अनुरोध किया। मतदान के बाद मतगणना न कराने का आग्रह किया। लेकिन सरकार नहीं मानी। इसका खामियाजा प्रदेश के शिक्षक व कर्मचारियों को भुगतना पड़ा। 1621 से अधिक शिक्षक असमय काल के गाल में समा गये। अब सरकार मौत को झुठलाने की कोशिश कर रही। जो मानवता को शर्मसार करने वाला है। सरकार ने यदि मुआवजा के साथ हर मदद नहीं की तो प्रदेश व्यापी आंदोलन होगा।

संजय सिंह, प्रांतीय महामंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ

शासनादेश में ड्यूटी के दौरान मृत्यु को मुआवजा के लिए पात्र माना गया है। लेकिन यह सभी जानते हैं कि शिक्षक ड्यूटी या प्रशिक्षण में कोरोना से संक्रमित हुए। उनकी बाद में मृत्यु हुई। उन्हें यह संक्रमण ड्यूटी के दौरान ही मिला हैं। सरकार को सभी मृतक आश्रित शिक्षक परिवार को आर्थिक मदद करनी चाहिए। शिक्षक परिवारों के हितार्थ तक कोर्ट तक लड़ा जाएगा।

राजकुमार तिवारी, जिला मीडिया प्रभारी, प्राथमिक शिक्षक संघ

प्रदेश में अब तक 1621 शिक्षकों का निधन हो चुका है। बड़ी संख्या में बीमार है। शिक्षकों का बीमा भी नहीं है। आपसी सहयोग से आश्रितों की मदद की जा रही है। टीएससीटी की ओर से 9 शिक्षकों को 1.44 करोड़ की मदद की जा चुकी है। सरकार को शिक्षकों को बीमा की सुविधा के साथ उनकी हर संभव मदद करनी चाहिए।

वीरपाल सिंह, जिला प्रवक्ता, टीचर्स सेल्फ केयर टीम

पंचायत चुनाव के दौरान हमारी तबीयत खराब हो गई। पिता जी की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव थी। 29 अप्रैल को जांच रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आयी। मैंने बुखार की वजह से चुनाव ड्यूटी से मना तो अधिकारियों ने आने का बहुत दवाब बनाया। यदि चला जाता तो कई अन्य पॉजिटिव भी हो जाते। न जाकर अनहोनी से बच गया।

सचेंद्र कुमार सिंह शिक्षक

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