शाहजहांपुर में बाढ़ ने फीकी कीं दीपावली की खुशियां
नदियों की बाढ़ उतरने लगीं है। लेकिन ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। घरों में रखा सामान खराब हो गया है। दीपावली नजदीक है। लेकिन लोगों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। समझ नहीं रहा है त्योहार कैसे मनेगा।
मिर्जापुर (शाहजहांपुर), जेएनएन : नदियों की बाढ़ उतरने लगीं है। लेकिन, ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। घरों में रखा सामान खराब हो गया है। दीपावली नजदीक है। लेकिन, लोगों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। समझ नहीं रहा है त्योहार कैसे मनेगा। अगर बारिश व बाढ़ नहीं आती तो तिल, उड़द, बाजरा व धान की फसलें कटकर बाजार में बिक चुकी होतीं। घरों में तैयारी हो रही होती।
तमाम किसान ऐसे हैं जिन्होंने तीन से चार हजार रुपया प्रति बीघा के हिसाब से खेत किराये पर लिए थे। अब उन्हें सरकारी मुआवजे का इंतजार है। किसान अमित कुमार ने बताया कि आठ बीघा मोटी मिर्च लगाई थी। 25 से 30 हजार रुपये का खर्च आया था। फसल खराब हो चुकी है। बीघापुर के पप्पू ने बताया कि मुआवजा नहीं मिला तो त्योहार भी नहीं मना पाएंगे। अतरी निजामपुर के श्रीकृष्ण के पूरे घर में रामगंगा की बाढ़ का पानी भर गया था। घर में अनाज तक नहीं रह गया है। फोटो 28 एसएचएन : 10
रात दिन मेहनत कर एक एकड़ खेत में धान की फसल लगायी थी। लेकिन, रामगंगा की बाढ़ ने सब तबाह कर दिया। परिवार का यही साधन है।
विनोद कुमार वर्मा, मिर्जापुर
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27 हजार रुपये में सात बीघा पर खेत डिलाई पर लिया था। बच्चों के साथ मेहनत कर फसल तैयार की। काटने से पहले पूरी फसल खराब हो गई।
जीलू खां, कुतुलूपुर फोटो 28 एसएचएन : 8
बैंक से कर्ज लेकर 15 बीघा खेत में धान, आलू व सरसों की फसल लगाई थी। रामगंगा में आई बाढ़ में कुछ नहीं बचा। सारी फसलें खराब हो गईं।
रामनाथ, जरियनपुर फोटो 28 एसएचएन : 7
आठ बीघा खेत में 25 हजार रुपये की लागत से धान, आलू की फसल की थी। इस बाढ़ ने बर्बाद कर दिया। अब परिवार का पालन मुश्किल होगा।
शिवपाल सिंह, तारापुर