आइएएस किसान ने बदली तस्वीर, गन्ना खेती के बने नजीर

नवाचार व आधुनिक तकनीक से सेवानिवृत्त आइएएस ने खेती की तस्वीर बदल दी। 74 साल की उम्र में खुद श्रमिकों के साथ लगकर एक आंख के गन्ने से बीज उत्पादन व गन्ना के साथ ट्रेंच में प्याज लहसुन आलू भिडी आदि की सहफसली खेती से मुनाफा बढ़ाकर वह गन्ना किसानों के लिए आदर्श व नजीर बने हुए है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 12:53 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 12:53 AM (IST)
आइएएस किसान ने बदली तस्वीर, गन्ना खेती के बने नजीर
आइएएस किसान ने बदली तस्वीर, गन्ना खेती के बने नजीर

जेएनएन, शाहजहांपुर : नवाचार व आधुनिक तकनीक से सेवानिवृत्त आइएएस ने खेती की तस्वीर बदल दी। 74 साल की उम्र में खुद श्रमिकों के साथ लगकर एक आंख के गन्ने से बीज उत्पादन व गन्ना के साथ ट्रेंच में प्याज, लहसुन, आलू, भिडी आदि की सहफसली खेती से मुनाफा बढ़ाकर वह गन्ना किसानों के लिए आदर्श व नजीर बने हुए है। हम बात कर रहे है शाहजहांपुर में 2000 से 2002 तक जिलाधिकारी रहे राजीव कुमार सिंह की। 2007 में सहारनपुर के मंडलायुक्त पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने सबसे पहले स्कूल खोला। 2019 से आधुनिक गन्ना खेती की शुरूआत कर दी।

किसानों में पैदा की अभिरूचि

फर्रुखाबाद जनपद की अमृतपुर के गांव कुबेरपुर निवासी राजीव कुमार सिंह बताते है कि उन्हें बचपन से ही खेती का शौक था। 70 के दशक में जब पहली बार देश में मैक्सिकन गेहूं आया, उन्होंने जनपद में सबसे पहले बोया। 1992 से 2007 तक के सेवाकाल में भी किसानों से खेती के अनुभव साझा किए।

गन्ना बीज संकट देख लिया बडचिप सीड का संकल्प

सीओ 0238 गन्ना बीज में लाल सड़न रोग का संकट आने के बाद सेवानिवृत्त आइएएस राजीव कुमार सिंह ने आधुनिक किस्म का गन्ना बीज का संकल्प लिया। इसके लिए उन्होंने गन्ना शोध परिषद तथा गन्ना विकास विभाग से संपर्क किया। ग्राम करीमपुर के फार्म पर कोशा 13235 किस्म की वसंतकालीन पौधशाला की शुरुआत की। एक आंख के टुकड़े को उन्होंने ट्रे में बुवाई कर किसानों के लिए खेती का मॉडल तैयार किया। उच्च शर्करा व अधिक उत्पादन वाली गन्ना किस्म की तैयार पौध को देखने के लिए अधिकारी भी पहुंच रहे है। डीसीओ डा. खुशीराम, रोजा चीनी मिल के यूनिट हेड मुनेश पाल ने भी टीम के साथ फार्म का भ्रमण किया।

शिक्षक से अधिकारी, अब बने किसान

बीडीओ पिता रघुराज सिंह से प्रेरणा पर राजीव कुमार सिंह ने अधिकारी बनने का संकल्प लिया। 1971 में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवक्ता की नौकरी छोड़ तैयारी की और पीसीएस बन गए। शाहजहांपुर में 1972 से अगस्त 78 शाहजहांपुर की जलालाबाद, सदर तहसील में एसडीएम तथा प्रभारी अधिकारी नगर पालिका रहे। जुलाई 2000 से दिसंबर 2002 तक शाहजहांपुर में डीएम का दायित्व निभाया। मुजफ्फरनगर, मथुरा डीएम के बाद सहारनपुर मंडलायुक्त का दायित्व निभाया। भेदपुर के पास बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन संबंधी स्कूल खोला। बाद में सीबीएसई से संबद्ध इंटर कॉलेज की मान्यता ले ली। 2019 से खेती की बागडोर संभाल ली।

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