बंदरों की लड़ाई में गिरा छज्जा, बच्ची की मौत

जिम्मेदार मुंह फेरकर बैठे रहे और बंदरों की लड़ाई एक बार फिर इंसान के लिए जानलेवा बन गई। मंगलवार को छह साल की बच्ची खतरे से अनजान होकर राह गुजर रही थी। इतने में छत पर लड़ रहे बंदरों की वजह से छज्जा टूटकर उसके ऊपर जा गिरा। मलबे में दबी मासूम वहीं दम तोड़ गई

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 12:51 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 12:51 AM (IST)
बंदरों की लड़ाई में गिरा छज्जा, बच्ची की मौत
बंदरों की लड़ाई में गिरा छज्जा, बच्ची की मौत

जेएनएन, शाहजहांपुर: जिम्मेदार मुंह फेरकर बैठे रहे और बंदरों की लड़ाई एक बार फिर इंसान के लिए जानलेवा बन गई। मंगलवार को छह साल की बच्ची खतरे से अनजान होकर राह गुजर रही थी। इतने में छत पर लड़ रहे बंदरों की वजह से छज्जा टूटकर उसके ऊपर जा गिरा। मलबे में दबी मासूम वहीं दम तोड़ गई। पिछले वर्ष भी जिले में बंदरों की वजह से हादसा हुआ था, जिसमें एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हुई थी।

जैतीपुर के पहाड़पुर गांव निवासी धर्मपाल की छह वर्षीय बेटी बबली मंगलवार शाम को घर के पास लगे हैंडपंप पर नहाने गई थी। वापस लौटते समय रामसहाय के घर सामने से गुजर रही थी। ऊपर बंदरों की लड़ाई में अचानक रामसहाय की छत का छज्जा बीम टूटा और बबली पर जा गिरा। तेज आवाज होने पर धर्मपाल व अन्य ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे। मलबा हटाया मगर, तब तक बबली की सांसें थम चुकी थीं।

बंदर पकड़ने के इंतजाम नहीं

पिछले साल 17 जुलाई को भी ऐसा हादसा हुआ है। शहर के कोतवाली क्षेत्र निवासी महिला शबनम, उनकी विवाहित बेटी रूबी व तीन बच्चों की मौत हो गई थी। पांचों लोग आंगन में सो रहे थे। पड़ोस के घर पर बंदरों ने चाहरदीवारी हिला दी थी, जो उन पांचों पर गिर गई थी। हादसे के बाद नगर निगम ने बंदर पकड़ने का अभियान शुरू किया, जोकि कुछ दिन ही चला। देहात क्षेत्र में जिला पंचायत या प्रधानों की ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं बना। हादसे के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष ममता यादव ने कहाकि जिन गांवों में समस्या है, वहां की जानकारी कर बंदर पकड़ने का अभियान शुरू कराएंगे।

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